National Unity Day 2025: भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती की तैयारियां हो चुकी हैं. 31 अक्टूबर को उनका जन्मदिन हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस साल सरदार पटेल की जयंती को खास बनाने के लिए पूरे भारत में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. दरअसल,  बेहद अनोखे और बेहतरीन व्यक्तित्व वाले सरदार पटेल ने अखंड भारत के सपने को सच कर दिखाया था.  

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सरदार पटेल ने आजादी के बाद कश्मीर से लेकर हैदराबाद तक सभी रियासतों को एक करने का मुश्किल काम किया था. दूसरों की प्रेरणा रहे पटेल के जीवन में महात्मा गांधी उनके मार्गदर्शक थे. महात्मा गांधी और सरदार पटेल के बीच संबंध असहमतियों से भरा था. दोनों कई बातों को लेकर एक दूसरे से बिल्कुल उल्टी राय भी रखते थे, लेकिन एक-दूसरे के प्रति सम्मान भाव से. फिर सरदार पटेल ने महात्मा गांधी को लेकर ऐसा क्यों कहा कि पहले इस महात्मा का दम तो देख लूं और इसके पीछे आखिर क्या कारण था? आइए जानते हैं ये किस्सा.

गांधी ने क्यों रखा आमरण अनशन ?

ये किस्सा साल 1948 का है, जब भारत को बंटवारे का ताजा जख्म मिला था. देश का माहौल काफी हिंसक और अस्थिर था. ऐसे में गांधी जी को जगह-जगह पर आगजनी और दंगों की लगातार खबरें मिल रही थी. हद तो तब हो गई, जब उनके पुराने डॉक्टर साथी को अपना घर छोड़ना पड़ा. ऐसे में हालातों को देखते हुए गांधी जी ने उपवास की ठानी लेकिन इससे भी कुछ काम नहीं बना और दंगे नहीं रुके. इसके बाद उन्होंने 13 जनवरी, 1948 को अनिश्चितकाल के लिए उपवास करने का फैसला लिया. गांधी जी के इस फैसले को लेकर सभी नेता और आम लोग चिंतित हो गए थे क्योंकि उस समय उनकी शारीरिक स्थिति मजबूत नहीं थी.

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पटेल ने क्यों कही ये बात ?

गांधी जी और पटेल के बीच कई बातों को लेकर असहमति थी, खासतौर पर पाकिस्तान को बंटवारे के दौरान बकाया रकम देने और पंडित नेहरू के कुछ फैसलों को लेकर भी, फिर भी एक दूसरे के प्रति सम्मान वैसा ही था. ऐसे में गांधी जी के आमरण अनशन की बात सुनकर सरदार पटेल भी बेहद हैरान रह गए थे. गांधी जी के इस आत्मशक्ति और दृढ़ निश्चय को देखकर वह समझ नहीं पा रहे थे कि इतनी कमजोरी और इस शारीरिक अवस्था में भी गांधी जी कैसे अनशन कर सकते हैं. इसलिए पटेल ने गुस्से और दर्द के भाव में कहा कि पहले इस महात्मा का दम तो देख लूं. पटेल के इन शब्दों में गांधी जी के लिए अपमान नहीं बल्कि बेहद चिंता और उनकी आत्मशक्ति और साहस पर हैरानी का भाव था.

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