Cricket Retirement: सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रोहित शर्मा के नाबाद 121 और विराट कोहली के 74 रनों की बदौलत भारत ने 9 विकेट के साथ जीत हासिल की. लेकिन हिटमैन रोहित शर्मा ने अपने संन्यास को लेकर एक बड़ा संकेत दिया है. इसी बीच आइए जानते हैं कि संन्यास लेने से पहले खिलाड़ियों को किसे सूचित करना पड़ता है और साथ ही इसकी घोषणा कितनी पहले करनी होती है. 

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संन्यास की घोषणा से पहले की प्रक्रिया 

भारतीय क्रिकेट में सन्यास सिर्फ एक व्यक्तिगत फैसला नहीं है. इसमें शासी निकाय के साथ आधिकारिक संवाद भी शामिल होता है. वैसे तो संन्यास की घोषणा कब करनी है इसकी कोई निश्चित अवधि नहीं है, लेकिन संन्यास की घोषणा से पहले अधिकारियों को सूचित कर देना एक मानक प्रक्रिया है. किसी भी औपचारिक घोषणा से पहले खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को सूचित कर सकते हैं. दरअसल यह कदम इस बात को सुनिश्चित करता है कि बोर्ड, चयनकर्ता और अधिकारी खिलाड़ी के फैसले के सार्वजनिक होने से पहले उसके बारे में जान लें. वैसे आमतौर पर खिलाड़ी बीसीसीआई के वरिष्ठ अधिकारियों जैसे की अध्यक्ष, सचिव या फिर चयनकर्ताओं के अध्यक्ष को सूचित करते हैं. इसका कारण यह है कि भविष्य के चयन और आगामी टूर्नामेंट की योजना बनाने में बोर्ड को सहायता मिलती है. 

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राज्य क्रिकेट संघों को सूचित करना 

रणजी ट्रॉफी जैसे घरेलू टूर्नामेंट में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों को राज्य क्रिकेट संघ को भी सूचित करना पड़ता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि टीम चयन के दौरान कोई भी भ्रम ना हो और यह सुनिश्चित हो की खिलाड़ी के संन्यास की सूचना घरेलू और राष्ट्रीय दोनों स्तर पर आधिकारिक रूप से दर्ज हो.

बोर्ड को कितने दिन पहले सूचित करना जरूरी 

दरअसल संन्यास से पहले बोर्ड को सूचित करने का कोई निश्चित नियम या फिर समय सीमा नहीं है. बीसीसीआई और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने इसे पूरी तरह से खिलाड़ी के विवेक पर छोड़ा हुआ है. कुछ खिलाड़ी मैच या फिर टूर्नामेंट के तुरंत बाद ही अपने संन्यास की घोषणा कर देते हैं जबकि कुछ बोर्ड को सुचारू रूप से बदलाव के लिए तैयार होने का समय देते हैं और पूर्व सूचना देना पसंद करते हैं. अगर बाकी देशों की बात करें तो बाकी क्रिकेट बोर्ड के नियम सख्त हैं. श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड ने खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने से पहले 3 महीने का नोटिस देने का नियम बनाया है. इससे बोर्ड को भविष्य की टीम की योजना बनाने में वक्त मिलता है.

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