Electricity : कई बार जब हमारे घर का बिजली का बिल आता है तो उसे देखकर टेंशन हो जाती है, खासकर जब गर्मियों का बिल हो. अब ऐसे में बिजली की बचत करने की सोचते हैं तो यह सुनने को मिलता है कि अगर हम पंखे को कम स्पीड पर चलाएं तो बिजली बचा सकते हैं. लेकिन क्या सच में पंखे की ज्यादा या कम स्पीड बिजली की बचत कर सकती है? या फिर यह सिर्फ एक वहम है जो हम कई वर्षो से सुनते आ रहे हैं. तो आइए इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं.

किस स्पीड से होता है बिल पर असर?

सभी घरों में सीलिंग फैन की स्पीड रेगुलेटर से कंट्रोल की जा सकती है... तो वहीं कुछ टेबल फैंस में भी स्पीड कंट्रोलर लगे रहते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या फैन की स्पीड कम करने से बिजली कम लगती है. और स्पीड बढ़ाने से क्या बिजली की खपत ज्यादा होती है. पहले सभी के घरों में इलेक्ट्रिक रेगुलेटर होते थे, जिनकी जगह अब इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर्स ने ले ली है. पुराने रेगुलेटर प्रतिरोधक का काम करते थे. ये रेगुलेटर पंखे की स्पीड को तो कम कर देते थे... लेकिन रेगुलेटर में उतनी ही बिजली जाती थी.

इसलिए बिजली की बचत पर कोई खास असर नहीं दिखता था. वहीं अगर आज इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर की बात करें तो यह काफी अच्छा काम करते हैं. अगर हमारे घर में रेगुलेटर हैं तो हमारे बिल पर भी इसका असर जरूर पड़ेगा. यानी इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर वाले पंखे स्पीड कम या ज्यादा करने के हिसाब से ही बिजली की कम या ज्यादा खपत करते हैं.

1 दिन में कितनी बिजली खाता है पंखा?

दरअसल, बाजार में 60 वाट के पंखे अधिक चल रहे हैं. इस हिसाब से यदि पंखा 1 दिन में 18 से 19 घंटे चलेगा तो एक यूनिट की बिजली की खपत होगी और अगर पंखे तेज़ स्पीड से चलते हैं तो 1 दिन में औसतन 5 यूनिट बिजली खर्च होती है.

कैसे थे पुराने इलेक्ट्रिक रेगुलेटर?

पुराने रेगुलेटर में जो प्रतिरोधक यानी रजिस्टर लगे होते थे. वह बिजली को बर्बाद करते थे. इन रजिस्टर्स का काम था पंखे की स्पीड को बढ़ा देना. इसमें पंखे की स्पीड घटाने-बढ़ाने में बिजली की खपत से कोई संबंध नहीं होता था. यदि आपके घर में भी अभी तक पुराने रेगुलेटर्स लगे हुए हैं तो आप भी नए इलेक्ट्रॉनिक रेगुलेटर लगवाएं ताकि बिजली की बचत हो सके.

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