BrahMos Factory: लखनऊ भारत की रक्षा गाथा में एक बड़ा अध्याय जोड़ चुका है. ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप लखनऊ कानपुर मार्ग पर सरोजिनी नगर के भटगांव गांव में हाल ही में बनी ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट से रवाना हो चुकी है. यह प्लांट उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर के केंद्र में स्थित है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहली खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
लखनऊ में नया रक्षा केंद्र
लखनऊ में बनी यह ब्रह्मोस यूनिट उत्तर प्रदेश रक्षा औद्योगिक कॉरिडोर लखनऊ नोट में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आवंटित लगभग 80 एकड़ भूमि पर स्थित है. यह परियोजना काफी तेजी से आगे बढ़ी. दिसंबर 2021 में आधारशिला रखी गई थी और निर्माण लगभग 3.5 साल में पूरा होकर 2025 में इसका उद्घाटन भी कर दिया गया. इसको बनाने में लगभग 300 करोड़ की लागत आई थी.
उत्पादन क्षमता और भविष्य की योजना
यह इकाई फिलहाल हर साल 80 से 100 ब्रह्मोस मिसाइलों का उत्पादन करने के लिए पूरी तरह तैयार है. ब्रह्मोस एनजी संस्करण की क्षमताओं का विस्तार करने की योजनाएं पहले से ही की जा चुकी है, जिससे उत्पादन हर साल 100 से 150 मिसाइल तक बढ़ाने की उम्मीद है.
मेक इन इंडिया रक्षा के लिए एक बड़ा कदम
लखनऊ में बसा यह प्लांट रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है. दुनिया की सबसे सक्षम क्रूज मिसाइल में से एक के उत्पादन को स्थानीय स्तर पर लाकर भारत विदेशी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर अपने निर्भरता को कम कर रहा है.
क्या है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई यह मिसाइल भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक सहयोग है. ब्रह्मोस का नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा को मिलाकर रखा गया है. यह मिसाइल मैक 2.8 और मैक 3 के बीच की गति से उड़ान भरने में सक्षम है. इसी के साथ इसे अलग-अलग प्लेटफॉर्मों से लॉन्च किया जा सकता है. जैसे: जमीन पर स्थित मोबाइल लॉन्चर, जहाज, पनडुब्बिया और सुखोई 30 एमके जैसे लड़ाकू विमान. अपनी गति, सटीकता और कहीं से भी लॉन्च फैसिलिटी की वजह से ब्रह्मोस भारतीय सेना की आक्रमण संरचना में एक बड़ी भूमिका निभाती है. जमीन पर स्थित मोबाइल लॉन्चर मुश्किल लक्षणों पर काफी सटीक प्रहार करने में मदद करते हैं, इसी के साथ जहाज या पनडुब्बी की मदद से सतह रोधी और तटीय आक्रमण विकल्प और मजबूत होते हैं. वहीं अगर लड़ाकू विमान की बात करें तो उसे वायु सेना को एक उच्च गति वाला स्थिर हथियार मिलता है.
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