भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज (बुधवार) 81वीं जयंती है. उनका जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अचानक से उन्होंने राजनीति में कदम रखा और देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने. उस समय उनकी उम्र केवल 40 साल थी. वे 1984 से 1989 तक प्रधानमंत्री रहे. 21 मई 1991 को उनकी हत्या कर दी गई थी. हर साल उनकी जयंती को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन देश में एकता, प्यार और शांति का संदेश दिया जाता है. 

भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी को हम एक आधुनिक सोच वाले नेता के रूप में याद करते हैं, लेकिन उनके जीवन की सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उन्हें अपनी हत्या का अंदेशा कई साल पहले ही हो गया था. 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक बम धमाके में राजीव गांधी की दर्दनाक मौत हुई. इस घटना से करीब 7 साल पहले, जब उन्होंने कई परिस्थितियों के चलते देश का प्रधानमंत्री बनना स्वीकार किया, उन्होंने एक ऐसा वाक्य कहा जो आज भी याद किया जाता है. राजीव गांधी ने करीब 7 साल पहले कहा था कि मेरे पास कोई विकल्प नहीं है, मैं वैसे भी मारा जाऊंगा. ऐसे में चलिए जानते हैं कि 7 साल पहले ही राजीव गांधी को हत्या का आभास कैसे हो गया था. 

7 साल पहले ही राजीव गांधी को हो गया था अंदेशा 

1984 में जब उनकी मां और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तब देश की राजनीति में भूचाल आ गया था. ऐसे समय में कांग्रेस पार्टी ने राजीव गांधी से कहा कि वो प्रधानमंत्री बनें. राजीव गांधी को राजनीति का अनुभव कम था और उन्होंने राजनीति में कदम भी अपनी पसंद से नहीं रखा था. देश और पार्टी के दबाव में उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. इसी समय उन्होंने अपनी पत्नी सोनिया गांधी से कहा, अगर मैंने प्रधानमंत्री पद नहीं स्वीकारा तो पार्टी बिखर जाएगी और अगर मैंने स्वीकार किया तो मेरी भी हत्या हो सकती है, पर कोई रास्ता नहीं है मैं वैसे भी मारा जाऊंगा. यह बात उनके साथ काम कर चुके पीसी एलेक्जेंडर ने अपनी किताब My Days with Indira Gandhi में लिखी है. 

1991 की वो रात और डर का सच होना

1991 में, राजीव गांधी देश में चुनाव प्रचार कर रहे थे और दोबारा प्रधानमंत्री बनने की तैयारी में थे. 21 मई की रात को वह तमिलनाडु के एक छोटे शहर श्रीपेरंबुदूर में जनसभा के लिए पहुंचे. भीड़ में मिली एक युवती, जो आत्मघाती हमलावर थी, ने फूलों का हार देने के बहाने उनके पास जाकर बम विस्फोट कर दिया. इस धमाके में राजीव गांधी समेत कई लोग मारे गए. यह हमला LTTE (लिट्टे) नाम के आतंकी संगठन ने करवाया था, जो श्रीलंका में तमिल अलगाववादी आंदोलन चला रहा था. धमाके से कुछ ही मिनट पहले, पत्रकार नीना गोपाल ने राजीव गांधी का इंटरव्यू लिया था, जिसमें उन्होंने उनसे पूछा था कि क्या आपको खतरे का अहसास है. राजीव गांधी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया दक्षिण एशिया में जो नेता ताकतवर बनता है, उसे मिटा दिया जाता है. मेरी मां इंदिरा गांधी, पाकिस्तान के भुट्टो, जिया-उल-हक, बांग्लादेश के मुजीबुर रहमान अब शायद मेरी बारी है. इसके कुछ देर बाद ही राजीव के ये शब्द भी सच हो गए. कुछ ही मिनट बाद, वो दर्दनाक धमाका हुआ. 

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