इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ बेंच में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की नागरिकता पर दायर याचिका पर सुनवाई की है. कोर्ट ने इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय को 24 मार्च 2025 को जवाब दाखिल करने का समय दिया है. बता दें कि हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने के लिए 25 नवंबर तक का समय दिया था.

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क्या है मामला

बता दें कि याचिकाकर्ता ने राहुल गांधी को लेकर दावा किया है राहुल गांधी के पास दो देशों की नागरिकता है. वहीं इसके पहले भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी दिल्ली उच्च न्यायालय में गांधी की नागरिकता को लेकर ऐसी ही याचिका दायर की थी. सुब्रमण्यम स्वामी ने एक पत्र में लिखा था कि बैकऑप्स लिमिटेड नाम की एक कंपनी 2003 में यूनाइटेड किंगडम में पंजीकृत हुई थी, जिसमें राहुल गांधी निदेशक और सचिव थे. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 2005 और 2006 में दाखिल कंपनी के वार्षिक रिटर्न में राहुल गांधी की जन्मतिथि 19 जून, 1970 बताई गई थी और उनकी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई गई थी.

क्या कहता है भारतीय कानून?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के मुताबिक कोई भी व्यक्ति एक साथ भारतीय और किसी अन्य देश की नागरिकता नहीं रख सकता है. बता दें कि भारत में एक व्यक्ति को केवल एकल नागरिकता प्रदान की जाती है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा 20 अप्रैल, 2019 को गांधी को नागरिकता से संबंधित शिकायत विषय पर एक नोटिस भेजा गया था.

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राहुल गांधी को छोड़नी होगी भारत की नागरिकता

बता दें कि राहलु गांधी पर लगे आरोप अगर सिद्ध होते हैं, तो राहुल गांधी को भारत की नागरिकता छोड़नी पड़ सकती है. क्योंकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के तहत कोई भी नागरिक दो देशों की नागरिकता नहीं रख सकता है. हालांकि जब तक इस मामले में कोर्ट का कोई फैसला नहीं आता है, तब कुछ कहा नहीं जा सकता है.

ब्रिटेन को लिखा पत्र

जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी को लेकर दावा किया जाता है कि उनके पास ब्रिटेन की नागरिकता है. वहीं बीते गुरुवार को सुनवाई के दौरान डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडे ने अदालत को बताया कि याची की शिकायत पर संबंधित मंत्रालय ने राहुल गांधी की कथित ब्रिटिश नागरिकता के बारे में विवरण मांगते हुए ब्रिटेन की सरकार को पत्र लिखा है, इसलिए सरकार को अंतिम निर्णय लेने के लिए आठ सप्ताह का और समय चाहिए.