Indian Navy Aircraft Carrier: पटना एयरपोर्ट (Patna Airport) हो या पाक्योंग एयरपोर्ट (Pakyong Airport), छोटे रनवे की वजह से फ्लाइट की लैंडिंग और टेकऑफ में परेशानी को लेकर अक्सर खबरें आती रहती हैं.

लेकिन लंबाई और चौड़ाई में जहाजों पर बने रनवे (Carrier Ship Runway) आम  एयरपोर्ट्स से भी काफी कम होते हैं. फिर भी जहाज के छोटे रनवे से विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ बरसों से करायी जा रही है. आखिर आम रनवे और जहाज पर बने रनवे में क्या अलग है?

जहाज के रनवे से होता है लड़ाकू विमानों का परिचालन

लड़ाकू विमान आम यात्री विमान की तुलना में काफी हल्के और बहुत छोटे होते हैं. यात्री विमानों (Passenger Aircraft) की तरह लड़ाकू विमानों (Fighter Plane) को लंबी दूरी की यात्रा भी नहीं करनी पड़ती. टारगेट के काफी करीब पहुंचकर ये फाइटर प्लेन उड़ान भरते हैं. कई मामलों में तो प्लेन को जहाज पर लादकर बीच समंदर में ले जाया जाता है और वे वहां से टेकऑफ करते हैं. विपरीत परिस्थिति के लिए तैयार किये जाने वाले इन फाइटर प्लेन की टेक-ऑफ और लैंडिंग भी काम चलाऊ व्यवस्था से ही की जाती है ताकि ये किसी भी हालात में अपना काम कर पाएं.

बचपन के इस खेल की तकनीक का इस्तेमाल करते हैं लड़ाकू विमान

जिस तरह बचपन में गुलेल की मदद से हम दूर तक निशान साधकर पेड़ से फल तोड़ते थे, ठीक इसी तकनीक का इस्तेमाल कर लड़ाकू विमान जहाज पर बने छोटे रनवे से उड़ान भरते (Catapulting Aircraft Take-off) हैं और लैंडिंग (Arrested Landing) करते हैं.

रनवे पर जहां प्लेन टेक-ऑफ से पहले खड़े होते हैं उसे डेक कहा जाता है. डेक के नीचे पिस्टन लगे होते हैं. ये पिस्टन स्टॉपर की तरह काम करते हैं और इनमें कई सिलिंडर लगे होते हैं. पिस्टन के सिलिंडर में स्टीम से प्रेशर भरा जाता है. जब सभी सिलिंडर में प्रेशर पूरी तरह भर जाता है तो विमान उड़ान भरने के लिए तैयार होता है. पिस्टन के साथ वायकर (Tow Bar) लगी होती है जिसका एक सिरा प्लेन के निचले हिस्से से बांधा जाता है.

जब टेकऑफ के लिए पायलट प्लेन की इंजन स्टार्ट करता है, तो उसी वक्त स्टीम के प्रेशर से पिस्टन भी प्लेन के साथ आगे बढ़ता है. लेकिन जैसे ही रनवे की छोर तक प्लेन बढ़ता है, पिस्टन रुक जाता है और उसके प्रेशर से जहाज को बल मिलता है जिससे झटके भर में गुलेल में भरे पत्थर की तरह प्लेन हवा में उड़ान भर लेता है.

हालांकि, वॉर शिप (Battle Carrier) के रनवे से प्लेन के टेक-ऑफ की प्रक्रिया जितनी आसान पढ़ने में लग रही है, उतनी असलियत में नहीं होती. प्लेन के पायलट से लेकर डेक के स्टाफ को काफी अलर्ट रहकर इस काम को अंजाम देना होता है वर्ना बड़ी दुर्घटना हो सकती है.

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