BSF Jawan Return: पाकिस्तान की तरफ से वाघा-अटारी बॉर्डर पर भारत के उस जवान को वापस कर दिया गया है, जिसे कुछ दिन पहले पकड़ा गया था. दरअसल बीएसएफ यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स का जवान गलती से सीमा पार कर गया था, जिसे पाकिस्तानी रेंजर्स ने हिरासत में ले लिया. अब करीब दो हफ्ते बाद जवान को वापस भारत को सौंपा गया है. आइए बताते हैं कि पाकिस्तान ने ऐसा किस नियम के तहत किया और हर देश को ये क्यों करना होता है. 

हर देश को वापस करना होता है जवानतमाम देशों के बीच में भले ही युद्ध हो रहा हो और एक दूसरे के सैनिकों को मारा जा रहा हो, लेकिन निहत्थे सैनिकों पर गोलियां नहीं चलाई जाती हैं. साथ ही अगर सैनिक सरेंडर करता है या फिर निहत्था किसी देश की सीमा पर पकड़ा जाता है तो उसके साथ बर्बरता नहीं की जा सकती है. ये सब कुछ जिनेवा कन्वेंशन के तहत होता है. जिसे हर वो देश मानता है जो किसी दूसरे देश के साथ युद्ध में हो या फिर दोनों के बीच कोई तनाव हो. 

वापस लौटा बीएसएफ जवानजिनेवा कन्वेंशन को युद्ध की क्रूरता को सीमित करना, नागरिकों की रक्षा करना और घायल युद्धबंदियों के साथ उचित व्यवहार करने के लिए बनाया गया है. इसमें अगर दूसरे देश का कोई नागरिक या फिर जवान घायल अवस्था में मिलता है तो तुरंत उसे इलाज दिया जाना जरूरी होता है. साथ ही एक उचित समय के बाद इस सैनिक या फिर लोगों को उसके देश को वापस लौटाना होता है. यही वजह है कि पाकिस्तान की तरफ से अब बीएसएफ के जवान को लौटा दिया गया है. इसके लिए दोनों सेनाओं में पहले बातचीत होती है और फिर तारीख और समय तय होता है. 

ऐसे हुई जिनेवा कन्वेंशन की शुरुआतदुनिया के तमाम देशों के बीच लगातार हो रहे युद्ध के बाद मानवीय अधिकारों की रक्षा की बात तेज हुई, जिसके बाद रेड क्रॉस सोसायटी और दुनिया के तमाम देशों ने जिनेवा कन्वेंशन की पहल की. पहला जिनेवा कन्वेंशन 1864 में हुआ था. इसमें तमाम तरह की संधियां थीं और नियम बनाए गए. युद्ध के दौरान होने वाले अमानवीय व्यवहार को रोकना ही इसका सबसे बड़ा मकसद था. जहां पहले युद्ध में जीत के बाद दूसरे देश के सैनिकों के साथ बर्बरता होती थी और महिलाओं के साथ भी बलात्कार जैसी घटनाएं सामने आती थीं, लेकिन जिनेवा कन्वेंशन के बाद से इन चीजों में लगातार कमी आई. अब तक कुल चार जिनेवा कन्वेंशन लागू हो चुके हैं.

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