बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान इस वक्त एक अंतरराष्ट्रीय विवाद के चलते सुर्खियों में आ गए हैं. उनके एक बयान से पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को इस कदर मिर्ची लगी कि तिलमिलाते हुए उसने सलमान खान को आतंकी घोषित कर डाला. शहबाज सरकार ने सलमान खान को आतंकी घोषित करते हुए गृह मंत्रालय से नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है. पाक के गृह विभाग ने सलमान खान को फोर्थ शेड्यूल में डाल दिया है और यह लिस्ट एंटी टेररिज्म एक्ट के तहत आती है. जिस शख्स का नाम इस लिस्ट में डाल दिया जाए, उसके खिलाफ पाकिस्तान में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. 

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अब यहां पर सवाल यह है कि क्या इस तरह से पाकिस्तान किसी को भी आतंकी बता सकता है और क्या इसके खिलाफ कहीं कोई अपील की जा सकती है या नहीं, आइए जान लेते हैं. 

क्या किसी को भी आतंकी घोषित कर सकता है पाकिस्तान?

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पाकिस्तान के Anti-Terrorism Act 1997 के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह किसी ऐसे व्यक्ति या समूह को आतंकी घोषित कर सके, जो देश में दहशत फैलाने, हिंसा करने या सरकार के खिलाफ हथियार उठाने जैसी गतिविधियों में शामिल हो. लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान में कोई भी व्यक्ति बिना सबूत आतंकी करार दिया जा सकता है? जवाब है- नहीं. इस कानून में ‘आतंकवाद’ की परिभाषा बहुत स्पष्ट है और यह तय करता है कि किन हालातों में किसी को आतंकवादी कहा जा सकता है.

पाक ने किया कानून में संशोधन

फिर भी रिपोर्ट्स की मानें तो कई बार इन कानूनों का इस्तेमाल राजनीतिक या निजी दुश्मनी निकालने के लिए भी किया जाता है, खासकर तब जब सरकार या सेना के खिलाफ आवाज उठाई जाती है. हाल ही में पाकिस्तान ने अपने आतंकवाद-रोधी कानूनों में संशोधन भी किया है. इस बदलाव के बाद अब वहां के सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के हिरासत में लेने और पूछताछ करने की ताकत मिल गई है. इस पर विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि इससे आम नागरिकों की स्वतंत्रता और अधिकारों पर असर पड़ेगा.

क्या कहीं की जा सकती है अपील?

अब बात आती है अपील की, अगर किसी को आतंकवादी घोषित कर दिया जाए तो क्या वह इसके खिलाफ कुछ कर सकता है? इसका जवाब है, हां. पाकिस्तान के कानून में अपील और न्यायिक समीक्षा का प्रावधान मौजूद है. कोई भी व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और यह साबित करने का मौका पा सकता है कि उसे गलत तरीके से आतंकी घोषित किया गया है. पाकिस्तान की सिंध हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी कई बार यह कह चुकी हैं कि आतंकवाद के मामलों में कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.

हालांकि, हकीकत यह है कि ऐसे मामलों में न्याय पाना आसान नहीं होता है. कानूनी प्रक्रिया लंबी, जटिल और कई बार राजनीतिक दबावों से प्रभावित रहती है. 

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