जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 मासूमों की जान चली गई. इसके बाद अभी भी पूरे प्रदेश में दहशत का माहौल है. जम्मू-कश्मीर से पर्यटकों का भरोसा डगमगा चुका है. लोगों का कहना है कि वो पहले अपनी सुरक्षा के बारे में सोच रहे हैं, जिंदा बचे तो घूमना फिर कभी हो जाएगा. इसीलिए वहां पर ज्यादातर बुकिंग कैंसिल हो रही हैं और लोग जम्मू-कश्मीर छोड़-छोड़कर जा रहे हैं. इस हमले के बाद सैलानियों की संख्या घटने लगी है. आइए जान लेते हैं कि पिछले एक हफ्ते में जम्मू कश्मीर में कितना नुकसान हुआ. 

कितनी बुकिंग कैंसिल

पहलगाम में हमला सिर्फ टूरिस्टों की जान का नुकसान नहीं है, बल्कि यह जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था का भी बड़ा नुकसान है, जो कि अब सुधरने लगी थी. इस हमले से पर्यटन पर बुरा असर तो पड़ा ही है, साथ ही में केंद्र शासित प्रदेश की तरक्की भी रुक गई है. जिस कश्मीर में देशभर के लोग बड़ी संख्या में घूमने आते थे, वह जगह अब असुरक्षित हो चुकी है. यही वजह है कि सरकार ने भी कश्मीर में 87 में से 48 पर्यटक स्थलों को बंद कर दिया है. वहां पर करीब 80% लोगों ने हमले के बाद से बुकिंग कैंसिल कर दी है. हालांकि पर्यटकों पर हमले दुर्लभ हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में घायी में नागरिकों को तेजी से निशाना बनाया जा रहा है. अनंतनाग और पहलगाम जैसी जगहें पिछले कुछ सालों में प्रभावित हुई हैं. 

अर्थव्यवस्था का हाल

हमले से पहले जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था अच्छी थी. 2024-25 के लिए प्रदेश की GSDP 7.06% बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही थी. साल 2019 से 2025 के बीच जम्मू-कश्मीर की विकास दर 4.89% रही थी. फाइनेंशियल ईयर 2024-24में प्रति व्यक्ति आय 1,54,703 रुपये तक पहुंचने का अनुमान था. क्योंकि 2018 से 2023 तक आतंकी घटनाएं कम हुई थीं और अर्थव्यवस्था में सुधार आया था. लेकिन अब सबसे ज्यादा नुकसान पर्यटन को हुआ है. GSDP में जम्मू-कश्मीर के पर्यटन का योगदान 7-8% तक होता है. 

पर्यटन में असर

हालांकि हमले के बाद पर्यटन में काफी फर्क पड़ा है. ट्रैवेल एजेंट का कहना है 80% बुकिंग कैंसिल हो चुकी है. पूर्वी भारत से आने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है. पश्चिम बंगाल से हर साल करीब 30% पर्यटक आते हैं, लेकिन अब यह संख्या घट रही है. यहां पर होटल वालों से लेकर टूर गाइट, घोड़े वाले और हस्तशिल्प वाले सभी पर्यटन पर निर्भर हैं. 2024-25 में केंद्र शासित प्रदेश के राजस्व का 46% से अधिक केंद्रीय अनुदानों से और 10% केंद्र प्रायोजित योजनाओं से आने का बजट बनाया गया था. यह दर्शाता है कि जम्मू कश्मीर केंद्र पर कितना निर्भर है. कुल रेवेन्यू का सिर्फ 8% नॉन टैक्स सोर्स से आता है और 18% स्टेट के टैक्स से आता है.

करीब एक दशक के बाद पहली बार इतना ज्यादा रेवेन्यू देखा गया था. इस हमले के बाद इस रेवेन्यू पर बुरा असर पड़ सकता है. 

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