पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष मासूमों की आतंकियों ने हत्या कर दी. 26 घरों के चिराग बुझ गए और शायद ही यह गम वो 26 परिवार कभी भूल पाएं. उनमें से कुछ कपल्स कश्मीर घूमने गए थे. दो कपल्स ऐसे थे, जिनमें से एक की शादी को सिर्फ छह दिन हुए थे, तो वहीं एक परिवार कानपुर से कश्मीर घूमने पहुंचा था. इस दौरान शुभम द्विवेदी की आतंकियों ने हत्या कर दी. शुभम की शादी को भी सिर्फ दो महीने ही हुए थे. उनकी पत्नी ऐशान्या का रो-रोकर बुरा हाल है. चलिए शुभम द्विवेदी के बारे में सब कुछ आपको बताते हैं. 

पत्नी के सामने ही उजाड़ दिया सुहाग

शुभम अपने घर का इकलौता चिराग था, जिसकी सबसे पहले आतंकियों ने निर्ममता से हत्या कर दी. पत्नी ऐशान्या ने अपने सुहाग को बचाने के लिए आतंकियों से हाथ जोड़े, लेकिन उन भेड़ियों ने एक न सुनी और बेदर्दी से 26 लोगों को मार दिया. दहशत में पत्नी के मुंह से एक शब्द नहीं निकले और उसकी आंखों के सामने ही शुभम को सिर पर गोली मारी. यह देखने के बाद तो ऐशान्या वहीं बेहोश हो गई. शुभम की शादी बीते 12 फरवरी 2025 को कानपुर के यशोदा नगर की ऐशान्या से हुई थी. दोनों अपनी जिंदगी में बहुत खुश थे. लेकिन उनको क्या पता था कि उनकी खुशी महज चंद पलों की मेहमान होगी.

क्या काम करते थे शुभम द्विवेदी

शुभम द्विवेदी और उनका परिवार चकेरी थाना क्षेत्र के श्याम नगर स्थित ड्रीमलैंड अपार्टमेंट में रहते थे. शुभम का परिवार तीन पीढ़ियों से सीमेंट का कारोबार करता है. तीसरी पीढ़ी का काम शुभम के हाथों में था. शुभम ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई सनिगवां गुरुहरराय स्कूल से की थी. इसके बाद उन्होंने एमबीए किया था. सीमेंट के काम का पूरा भार अब शुभम के कंधों पर था. वह अपने परिवार का इकलौता चिराग था. 

परिवार की मजबूत राजनीतिक पकड़

शादी के बाद शुभम 15 अप्रैल को आखिरी बार अपनी ससुराल गया था. इसके बाद 17 से 23 अप्रैल तक उनका कश्मी का टूर था. लेकिन टूर से घर वापस आने के एक दिन पहले ही यह अनहोनी हो गई. शुभम के परिवार की महाराजपुर क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. शुभम के दादा चंदन प्रसाद द्विवेदी 1977 से 1995 तक यानि 18 साल तक हाथीपुर के प्रधान रहे हैं. इसके बाद उनके भाई सुभाष द्विवेदी 1995 से 2005 तक प्रधान के पद पर रहे थे. शुभम के परिवार के बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के साथ करीबी रिश्ता है.

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