जम्मू कश्मीर के पहलगाम के बैसरन में मंगलवार को हुए आतंक हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश का माहौल है. आतंकियों ने पर्यटकों के ग्रुप पर निशाना बनाते हुए 26 लोगों की निर्ममता से हत्या कर दी. वहीं जो लोग घायल हैं, उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस हमले की जिम्मेदारी TRF यानि लश्कर-तैयबा के विंग द रजिस्टेंस फ्रंट ने ली है. लेकिन कश्मीर में सिर्फ एक टीआरएफ की सक्रिय गैंग सक्रिय नहीं है, बल्कि 90 के दौर में भी एक आतंकी संगठन का जमकर बोलबाला था. जिसने कश्मीर में दहशतगर्दी मचा रखी थी. 

कौन सा आतंकी गैंग था सक्रिय

90 के दशक में कई आतंकी संगठन सक्रिय थे, जिसमें सबसे प्रमुख थे जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF), हरकत-उल-मुजाहिदीन जिसे पहले हरकत-उल-अंसार के नाम से भी जाना जाता था और एक और संगठन है जिसका नाम हा लश्कर-ए-तैयबा. लेकिन 90 के दशक में सबसे ज्यादा दहशत जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट ने फैलाई थी. इस संगठन को 1980 के दशक में स्थापित किया गया था और इसका नेतृत्व यासीन मलिक ने किया था. 

क्या है JKNF

जम्मू कश्मीर नेशनल फ्रंट की स्थापना मई 1977 में ब्रिटेन में हुई थी. इसकी शुरुआत अमानुल्लाह खान ने की थी. उसने इस संगठन की शुरुआत तब की थी, जब अमानुल्लाह के ज्यादातर साथी मार दिए गए थे या फिर भारतीय सेना ने पकड़ लिया था. इस संगठन को POK के मीरपुर समुदाय से समर्थन मिलता है. JKLF से सितंबर 1995 में एक गुट अलग हुआ, जिसकी अगुवाई यासीन मलिक ने की थी.

कश्मीरी पंडितों को भगाने में अहम भूमिका

यासीन मलिक के नेतृत्व वाला यह संगठन राज्य में आजादी को लेकर नारेबाजी करने वाला पहला संगठन था. इसने ही पहली बार 14 सितंबर 1989 को बीजेपी के एक नेता पंडित टीकालाल तापलू को निशाना बनाया था, जो कि कश्मीरी पंडित थे. इस संगठन ने तीन सरकारी इमारतों में विस्फोट भी किया था. कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से पलायन करने पर मजबूर कर देने में जेकेएलएफ का अहम योगदान था. इसने ही घाटी में डर और हिंसा का माहौल बनाया था. घाटी में बढ़ती हुई आतंकी गतिविधियों की वजह से कश्मीरी पंडित जान बचाकर वहां से भागे थे.

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