भारत और पाकिस्तान के बीच इस जंग का माहौल बना हुआ है. पाकिस्तान की पनाह में पल रहे आतंकियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में 26 निर्दोष टूरिस्ट को अपना निशाना बनाया था. पहलगाम में हुए इस आतंकी हमले का तार पाकिस्तान से मिला था जिसके बाद भारत की तरफ से तीनों सेनाओं के संयुक्त कार्यवाही में पाकिस्तान और पीओके में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए 21 आतंक के अड्डों को ध्वस्त कर दिया गया था.
जिसमें आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर के परिवार के भी कई सदस्य मारे गए थे. पाकिस्तान इस हमले के बाद लगातार सीमा पर भारी गोलीबारी कर रहा है और आम लोगों को निशाना बना रहा है. ऐसे में जंग आशंका बनी हुई है.
जंग के दौरान बुलडोजर का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है. चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है.
कैसे होता है बुलडोजर का इस्तेमालकिसी भी युद्ध के दौरान बुलडोजर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है, हालांकि इसका यूज हथियार के तौर पर नहीं किया जाता है बल्कि युद्ध के दौरान ये रणनीतिक और लॉजिस्टिक की भूमिका में अपना रोल प्ले करते हैं. युद्ध के दौरान किसी भी सेना और युद्ध के हथियार जैसे टैंक को आगे बढ़ने के लिए रास्ता साफ होना जरूरी होता है इसका उपयोग मलबा हटाने और रास्ता साफ करने के लिए किया जाता है. बुलडोजर का उपयोग पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में बड़े स्तर पर किया जाता है. इससे दुश्मन की गोलीबारी से बचने के लिए तेजी से जमीन खोदकर ट्रेंच और शेल्टर बनाए जाते हैं. अगर हम इतिहास में जाएंगे तो मिलेगा कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिकी और ब्रिटिश फौज की तरफ से Holt crawler tractors का बड़े पैमाने पर यूज किया गया था. बुलडोजर का द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हाइवे, रनवे और किलेबंदी करने के लिए बड़े पैमाने पर यूज किया गया था.
सेना के लिए काफी जरूरी युद्ध के दौरान जैसे -जैसे सेना दुश्मन के इलाकों को जीतते हुए आगे बढ़ती है तो उसको रहने के लिए अस्थायी सैन्य अड्डों की जरूरत होती है उस दौरान अस्थायी सैन्य अड्डा बनाने के लिए इसका यूज किया जाता है. इसके अलावा भारी हथियार को एक जगह से दूसरी जगह रखने या भारी हथियारों को स्थिर रखने के लिए गढ्ढा बनाने के लिए भी यह काम आता है.
आम बुलडोजर से ये कितने होते हैं अलगआम बुलडोजर की तुलना में युद्ध के दौरान यूज होने वाले बुलडोजर काफी अलग होते हैं क्योंकि इनको वॉर की स्थिति के आधार पर तैयार किया जाता है. इनके पास आम बुलडोजर से काफी ज्यादा क्षमता होती है. इसमें आर्मर्ड बुलडोजर जो एक तरह से बख्तरबंद होते हैं जिनपर गोलियों का भी कोई असर नहीं होता है शामिल होते हैं.
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