New Parliament Building: भारत की नई संसद उद्घाटन के लिए तैयार है. आज यानी 28 मई को देश के नए संसद भवन की का उद्घाटन होगा. इससे पहले शनिवार 27 मई को तमिलनाडु से दिल्ली आए अधीनम यानी पुजारी ने पीएम मोदी को और मंत्रोच्चारण के बीच सेंगोल सौंपा. सेंगोल का इतिहास अपने आप में काफी पुराना है. शायद आपके मन में भी सेंगोल को लेकर कई सवाल उठ रहे होंगे. सबसे पहला सवाल तो यही होगा कि आखिर ये सेंगोल क्या होता है? क्या है इस पुरानी सेंगोल का इतिहास? जब इसे राजा को सौंपा जाता है तो उसे इससे मारा जाता है. इसके ऊपरी सिरे पर नंदी की प्रतिमा बनी हुई है. आइए समझते हैं इस राजदंड में इन सबका क्या अर्थ है.
सेंगोल का इतिहास
वैसे तो सेंगोल का संबंध भारत की आजादी से जुड़ा है, लेकिन यह मूल रूप से तमिलनाडु के चोल साम्राज्य से संबंधित है. चोल साम्राज्य में जब भी किसी राजा का राज्याभिषेक हुआ करता था, तब राज्यभिषेक के समय एक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता था, जिसे सेंगोल कहा जाता है. सेंगोल को सत्ता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए जब भी एक राजा दूसरे राजा को सत्ता सौंपता था तब सेंगोल दिया करते थे.
भारत देश के सबसे पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को अंग्रेजो ने सेंगोल 1947 मे सौंपा था. तब सेंगोल का उपयोग सत्ता को सौंपने के प्रतीक के रूप में किया गया था. सेंगोल देश के राजा के हाथ में सत्ता का मालिक होने का प्रतीक है.
राजदंड की अवधारणा
राजतिलक और राजदंड की वैदिक रीतियों के मुताबिक, नए राजा के राज्याभिषेक के समय जब वह गद्दी पर बैठता है तो तीन बार 'अदण्ड्यो: अस्मि' कहता है. राज्याभिषेक करवा रहा राजपुरोहित पलाश दंड से नए राजा को मारता है और कहता है 'धर्मदण्ड्यो: असि'. यहां राजा को कह रहा है उसका तात्पर्य होता है कि उसे दंडित नहीं किया जा सकता है. वहीं, पुरोहित के कहने का अर्थ होता है कि राजा को भी धर्म दंडित कर सकता है. ऐसा कहते हुए वह राजा को राजदंड सौंपता है.
सेंगोल में क्यों है नंदी की प्रतिमा?
सेंगोल की आकृति और नक्काशी-बनावट की वजह प्राचीन चोल इतिहास से इसका संबंधित होना है. सेंगोल के ऊपरी सिरे पर बैठे हुए नंदी की प्रतिमा बनी हुई है. दरअसल, यहां पर नंदी की प्रतिमा इसका शैव परंपरा से संबंध प्रदर्शित करती है. इसके अलावा इसपर नंदी होने के कई अन्य मायने भी हैं. हिंदू धर्म में नंदी समर्पण का प्रतीक है. राज्य के प्रति राजा सहित प्रजा भी समर्पित होती है. नंदी, भगवान शिव के आगे इसी तरह स्थिर मुद्रा में रहते हैं, इस प्रकार उनकी यह स्थिरता शासन के प्रति अडिग होने का प्रतीक मानी जाती है. जिसका न्याय अडिग है, उसका शासन भी अडिग होता है. इसलिए नंदी को इस राजदंड के सबसे शीर्ष पर स्थान दिया गया है.
इतनी पुरानी सेंगोल अब तक कहां थी?
सबसे पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू जी को सौंपे जाने के बाद से सेंगोल को सभी लोग भूल गए थे. तबसे सेंगोल को प्रयागराज में स्थित नेहरू संग्रहालय मे सुरक्षित रखा गया था. अब सरकार सेंगोल को नए संसद भवन में लगाएगी.