Nepal Currency Controversy: नेपाल और भारत के बीच वर्षों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर सामने आया गया है. दरअसल, नेपाल के केंद्रीय बैंक ने गुरुवार को 100 रुपये का नोट जारी किया है, जिसके लेकर विवाद शुरू हो गया है. नेपाल के केंद्रीय बैंक ने इस नोट पर तीन भारतीय इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा का नक्शा छापा है. नेपाल इन इलाकों पर अपना दावा करता रहा है, हालांकि भारत ने स्पष्ट किया है कि ये तीनों इलाके भारत के हैं और इनपर कोई भी पक्ष दावा नहीं कर सकता. 

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नेपाल की करेंसी पर ये तीन इलाके तब सामने आए हैं, जब 5 साल पहले नेपाल की सरकार ने अपना राजनीतिक नक्शा संशोधित किया था और इसमें इन तीनों क्षेत्रों को शामिल किया था. अब यही क्षेत्र नेपाल की करेंसी के ऊपर दिखने से विवाद शुरू हो गया है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि नेपाल की इस हिमाकत के खिलाफ भारत कहां शिकायत कर सकता है और नोटों पर किसी जगह का नक्शा छापने का क्या नियम होता है.

सिर्फ 100 के नोट पर छपा है नक्शा

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बता दें, आज से पहले नेपाल में 100 के नोट पर इन विवादित क्षेत्रों की तस्वीर नहीं हुआ करती थी, लेकिन अब भारत के इलाकों को नेपाल के नोट पर छापा गया है. वहीं नेपाल में अन्य नोट जैसे- 10, 50, 500, 1000 के नोट जस के तस ही हैं. उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया हैं. वहीं, 100 के नोट में भी नक्शे के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है. 

क्या है नोट पर नक्शा छापने का नियम?

किसी देश की करेंसी नोट पर नक्शा छापने का कोई ठोस नियम नहीं है. ये नियम उस देश की सरकार और केंद्रीय बैंक तय करते हैं. जहां तक नक्शे या राष्ट्रीय प्रतीकों की बात है तो देश का केंद्रीय बैंक और सरकार ही यह भी तय करती है कि किस नोट पर कौन सा राष्ट्रीय प्रतीक होगा. जब भी कोई देश नए इलाकों या क्षेत्रो को अपनी सीमा में शामिल करता है तो वह उसे करेंसी नोट पर जगह दे सकता है. हालांकि, इसको लेकर कोई नियम नहीं है. 

भारत कहां कर सकता है शिकायत?

जहां तक भारतीय क्षेत्रों को नेपाल की करेंसी नोट पर दिखाने का सवाल है तो भारत ने सीधे तौर पर पहले भी इसे खारिज किया है. भारत ने पहले भी इसे एकतरफा कार्रवाई बताया था और कहा था कि उसके क्षेत्रीय दावों पर इस तरह के दावे स्वीकार्य नहीं किए जाएंगे. ऐसे में भारत इस मामले को नेपाल सरकार के समक्ष उठा सकता है और उससे ऐसा न करने की अपील कर सकता है. अगर इसके बाद भी इस तरह नोट छपते रहे तो भारत इस मामले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाकर नेपाल पर कूटनीतिक दबाव बना सकता है. 

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