National Highway Numbering: आपने देखा होगा कि नेशनल हाइवे के अपने नंबर होते हैं और हर हाइवे की नंबर से पहचान होती है. जैसे आगरा-मथुरा-कानपुर-इलाहाबाद- वाराणसी हाइवे का नंबर 19 है, आगरा, जयपुर, बीकानेर का हाइवे नंबर 21 है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर ये नंबर कैसे डिसाइड होते हैं. तो आज जानते हैं कि आखिर हर हाइवे का नंबर कैसे तय होता है. 


आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि किसी भी हाइवे का नंबर कुछ भी दे दिया जाता है. इसके पीछे भी एक पैटर्न है और हाइवे के नंबर से ही उसकी दिशा भी पता कर सकते हैं. अगर किसी नेशनल हाइवे का नंबर 3 डिजिट में है तो इसका कुछ और मतलब है और अगर नंबर का डिजिट, दो या एक है तो इसकी कहानी कुछ और है.  


कैसे डिसाइड होते हैं नंबर?


आपको बता दें कि उत्तर से दक्षिण जाने वाले नेशनल हाइवे की संख्या ईवन होती है. इसके अलावा पूर्व से पश्चिम की ओर से जाने वाले नेशनल हाइवे की संख्या ऑड होती है. सभी मेन हाईवे की संख्या दो या एक डिजिट में होती है, जैसे 1,2 68 आदि. ये सभी हाइवे मुख्य हाइवे होते हैं और बाकी सपोर्टिंग हाइवे होते हैं. 


तीन डिजिट के नंबर वाले हाइवे का क्या है मतलब?


कुछ हाइवे के नंबर 3 डिजिट में भी होते हैं. जिन हाइवे के नंबर तीन डिजिट में होते हैं, उन हाइवे का मतलब है कि वे सपोर्टिंग ब्रांच भी है. यानी ये किसी नेशनल हाइवे की सपोर्टिंग रोड होंगे. जैसे अगर किसी हाइवे का नंबर 344 है तो इसका मतलब है कि ये नेशनल हाइवे 44 की सपोर्टिंग ब्रांच हो सकती है. इसके अलावा इसका पहला अंग उसकी दिशा के बारे में बताता है कि आखिर ये हाइवे किस साइड से किधर जा रहा है. 


भारत में कितना बड़ा है हाइवे नेटवर्क?


दुनिया में भारत का हाईवे नेटवर्क दूसरे नंबर पर है और इसमें चीन पहले स्थान पर है. भारत में करीब 600 नेशनल हाइवे है. भारत के नेशनल हाइवे की कुल लंबाई 1 लाख 61 हजार किलोमीटर से भी ज्यादा है. ये ट्राफिक का 40 फीसदी भार उठाते हैं. 


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