नासा की दो अंतरिक्ष यात्रियों ऐनी मैकक्लेन और निकोल एयर्स ने आईएसएस यानि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से बाहर निकलकर स्पेस वॉक की है. अंतरिक्ष यात्रियों में एक सैन्य अधिकारी हैं और एक पायलट हैं. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 60 साल के इतिहास में ऐसा पांचवीं बार है, जब सिर्फ स्पेसवॉकर थीं. मैकक्लेन सेना में कर्नल और हेलीकॉप्टर पायलट हैं. मैकक्लेन को साल 2019 में ही पहली महिलाओं द्वारा की जाने वाली स्पेसवॉक में हिस्सा लेना था, लेकिन उनका सूट ठीक नहीं होने के कारण यह प्लानिंग उनको टालनी पड़ी थी. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है, जब महिलाओं ने अंतरिक्ष में स्पेसवॉक की हो. चलिए जानें कि ऐसा पहली बार कब हुआ था.

पहली बार महिलाओं ने कब किया फीमेल स्पेसवॉक

अंतरिक्ष में अब सिर्फ पुरुष वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि महिला वैज्ञानिक भी जाती हैं. अंतरिक्ष में महिलाओं ने भी अपना परचम लहराया है. अंतरिक्ष में पहली बार महिलाओं ने 25 ने 1984 को स्पेसवॉक किया था. पहली बार ऐसा करने वाली कॉस्मोनॉट स्वेतलाना सवित्सकाया थीं. वहीं पहली बार अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली महिला सोवियत कॉस्मोनॉट वैलेंटिना तेरेश्कोवा थीं, जिन्होंने 1963 में वोस्तोक 6 अंतरिक्ष यान से उड़ान भरी थी. 

2019 में महिलाओं ने की स्पेसवॉक

इसके बाद 18 अक्टूबर 2019 में जेसिका मीर और क्रिस्टीना कोच ने पहली बार सभी महिलाओं के साथ स्पेसवॉक की थी. इस दौरान महिलाओं ने अंतरिक्ष में चहलकदमी की थी. हालांकि इसके पहले वे पुरुषों के साथ ग्रुप में ऐसा करती थीं. लेकिन 2019 में महिलाओं ने स्पेसवॉक की थी. क्रिस्टीना कोच अब चांद पर जाने वाली पहली महिला बन जाएंगी. वो और तीन पुरुष यात्रियों के साथ नासा के आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत अगले साल चांद पर बिना उतरे ही उड़ान भरेंगे. 

आखिर क्यों करते हैं स्पेसवॉक

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए स्पेसवॉक एक खतरनाक और चुनौतीपूर्णं काम होता है. हालांकि कुछ कारणों से स्पेसवॉक किया जाता है. इसमें वैज्ञानिक प्रयोग, मरम्मत करना, मशीनी उपकरण स्थापित करना शामिल होता है. किसी उपग्रह को पकड़कर उसको स्थापित करने और अंतरिक्ष स्टेशन के बाहरी हिस्से की जांच करना और उसको ठीक करना शामिल है. 

यह भी पढ़ें: सिर्फ महिलाओं को ही होती हैं ये बीमारियां, 99 पर्सेंट पुरुष जानते ही नहीं इन दिक्कतों के नाम