9 अगस्त 1945 सेकंड वर्ल्ड वॉर का वह दिन था जब अमेरिकी सेना ने जापान के नागासाकी पर परमाणु बम गिराया था. इस मिशन का नेतृत्व मेजर चार्ल्स स्वीनी कर रहे थे. उन्होंने फैट मैन नाम को b29 बॉम्बर विमान बॉक्सर से गिराया था. इस विस्फोट के बाद हजारों लोग मारे गए और शहर खंडहर में बदल गया था. स्वीनी ने इस हमले के बाद में स्वीकार किया कि इस घटना ने उसकी रातों की नींद छीन ली थी और यह मंजर जीवन पर उनके सपनों में लौट कर आता रहा.
कोकरा से बदला मिशन का लक्ष्य स्वीनी का मूल लक्ष्य कोकरा शहर था लेकिन मौसम की खराबी और धूएं के कारण वहां निशाना साधना संभव नहीं हो पाया. कई बार प्रयास के बाद उन्हें आदेश मिला कि नागासाकी की ओर बढ़े. वहां मौसम थोड़ा साफ था और बम गिराने का फैसला वही लिया गया.
एक ही पल में तबाह हुआ शहर बम गिरते ही नागासाकी में तबाही का मंजर फैल गया. हजारों लोग तुरंत मारे गए और कई घायल लोग आने वाले दिनों में रेडिएशन और गंभीर जख्मों के कारण दम तोड़ रहे थे. शहर के बड़े हिस्से राख में बदल गए. इस हमले ने जापान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर कर दिया और सेकंड वर्ल्ड वॉर का अंत करीब आ गया.
पायलट की भावनाएं और अपराधबोध दिशामेजर स्वीनी ने इस हमले के बाद कहा था कि उन्होंने यह मिशन एक सैनिक के रूप में अपने कर्तव्य के तहत पूरा किया था. उनका मानना था कि इस कदम से युद्ध जल्दी खत्म हुआ और कहीं सैनिकों की जान बची. लेकिन इसके बावजूद नागासाकी की तस्वीर और वहां की तबाही की यादें उन्हें जीवन भर परेशान करती रही. उन्होंने बताया कि कई रातों में वह उस दिन के दृश्य में देखते रहे और उनकी नींद टूट जाती थी.
नागासाकी दिवस की याद हर साल 9 अगस्त को नागासाकी डे मनाया जाता है. इस दिन परमाणु हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है और शांति का संदेश दिया जाता है. यह दिन दुनिया को याद दिलाता है कि युद्ध में हथियारों की विनाशकारी ताकत कितनी भयावह हो सकती है और क्यों परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया की जरूरत है.
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