Akbar: हिंदुस्तान पर कई सालों तक मुगलों ने शासन किया. मुगल शासकों के भारत में इतिहास पर जितनी भी किताबें लिखी हैं, उनमें से अधिकतर में मुगल शासकों की तानाशाही का ही जिक्र मिलता है. लेकिन, कुछ शासक ऐसे भी रहे हैं, जिनसे जुड़े कुछ अध्याय पॉजिटिव हैं जैसे कि अकबर.

जी हां, अकबर के लिए कहा जाता है कि वह अन्य शासकों से थोड़ा अलग था. वह धर्म निरपेक्ष था और सभी धर्मों को साथ लेकर चलने की बात करता था. अकबर की इसी सोच को बताते हैं अकबर के राज में जारी हुए कुछ सिक्के. दरअसल, इन सिक्कों पर भगवान राम और राम दरबार की तस्वीरें थीं. आइए जानते हैं अकबर की इस राम भक्ति के पीछे क्या वजह थी 

अकबर था धर्मनिरपेक्ष शासक 

अकबर की छवि बाकी मुगल शासकों की तरह नहीं रही है. ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने धर्म को राजनीति से अलग रखा. उसके शासन में सभी धर्म के लोगों को अपने धर्म का पालन करने, पूजा-पाठ करने तथा धर्मस्थल बनाने की पूरी स्वतंत्रता थी. अकबर ने नए हिंदू मंदिर बनवाने की अनुमति भी दी थी और कई मंदिरों में विकास कार्य भी करवाए थे. इसी क्रम में उसने भगवान राम, लक्ष्मण की तस्वीरों वाले सिक्के भी छपवाए थे.

कब बनवाए थे ये सिक्के

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अकबर ने 1604-1605 में हिंदू भगवानों के सम्मान में इन सिक्कों को जारी किया था. हालांकि, इस्लाम में मूर्ति पूजा वर्जित है, लेकिन अकबर धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखता था तो उसने धार्मिक सद्भाव के लिए ऐसा किया. अकबर ने अपने नए धार्मिक विचार के हिस्से के रूप में सभी धर्मों को एक साथ देखा.

ऐसा था सिक्का

अकबर द्वारा जारी इस सिक्के में भगवान राम और सीता की आकृति बनी हुई थी, जिसमें भगवान राम धनुष और बाण के साथ खड़े हुए थे. इन सिक्कों पर उर्दू या अरबी भाषा में राम सिया लिखा हुआ था. सिक्के चांदी और सोने दोनों में बनवाए गए थे लेकिन अकबर की मृत्यु के बाद इनका निर्माण भी बंद कर दिया गया.

कहते हैं कि अखबर ने बड़ी मात्रा में ये सिक्के नहीं बनवाए थे और न ही ये ज्यादा चलन में थे. अक्सर ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी वायरल होती रहती हैं, जो अकबर के बारे में एक अलग ही कहानी को प्रदर्शित करती हैं.

इसके अलावा अकबर ने श्रीराम के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए सन् 1604-05 में स्वर्ण और रजत के अ एवं ब, दो तरह के सिक्के भी जारी किए थे. इसमें एक सिक्के पर राम दरबार बना भी दिख रहा है. अकबर के शासन के अंतिम साल में भी उसकी रामभक्ति देखने को मिली थी.

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