दुनिया में कई रेलवे ट्रैक ऐसे भी हैं, जहां सफर शुरू होते ही दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं. खिड़की के बाहर गहरी खाइयां, तेज ढलानें, समुद्र की उग्र लहरें और आसमान को छूती ऊंचाइयां, ये सब मिलकर इन रेलमार्गों को आम यात्रा नहीं, बल्कि हिम्मत और इंजीनियरिंग के चमत्कार का संगम बना देते हैं. इन ट्रैकों पर कदम रखना मानो खतरे के साथ समझौता करना है. लेकिन फिर भी लाखों लोग इन्हें देखने और अनुभव करने दूर-दूर से पहुंचते हैं. आखिर ऐसा क्या है इन खतरनाक रेल लाइनों में?

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स्टूजबान फ्यूनिकुलर रेलवे

सबसे पहले बात करते हैं स्विट्जरलैंड की स्टूजबान फ्यूनिकुलर रेलवे की. यह रेलवे दुनिया की सबसे खड़ी फ्यूनिकुलर लाइन मानी जाती है, जो लगभग 110 प्रतिशत यानी करीब 48 डिग्री की ढलान पर चढ़ती है. यहां की सबसे खास बात है, इसके झुके हुए केबिन. ये केबिन जैसे-जैसे ऊंचाई बदलती है, उसी हिसाब से घूमकर खुद को सीधा रखते हैं. यानी चाहे पहाड़ कितना भी खड़ा हो, यात्री हमेशा समतल स्थिति में बैठे रहते हैं.

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माउंट पिलाटस की रैक रेलवे

इसके बाद आती है माउंट पिलाटस की रैक रेलवे, जो 1889 में बनाई गई थी. यह दुनिया की सबसे खड़ी रैक रेलवे है और करीब 48 प्रतिशत ढलान पर चढ़ती है. इस लाइन में रैक और पिनियन का मजबूत सिस्टम लगाया गया है, जो खड़ी चढ़ाई पर भी ट्रेन को मजबूती से आगे बढ़ाता है. 130 साल से भी ज्यादा पुरानी इस लाइन के ट्रैक को आज भी मजबूत रखने के लिए विशेष मशीनें और तकनीकें इस्तेमाल की जाती हैं.

पंबन ब्रिज ट्रैक

अब बात करते हैं भारत के उस रेलवे ट्रैक की, जो डर और रोमांच दोनों का अनोखा मिश्रण है, चेन्नई से रामेश्वरम के बीच का पंबन ब्रिज ट्रैक. 2.3 किलोमीटर लंबी यह पटरी सीधे हिंद महासागर पर टिकी है. समुद्र शांत हो तो यात्रा बेहद खूबसूरत लगती है, लेकिन जब लहरें उग्र हों, हवाएं तेज हों, तो ट्रेन का गुजरना किसी चुनौती से कम नहीं है. कई बार पानी ऊपर तक उठ आता है और ऐसा लगता है मानो समुद्र खुद ट्रेन की परीक्षा ले रहा हो.

पोस्टलिंगबर्गबाहन रेलवे लाइन

यूरोप के ऑस्ट्रिया में भी एक अनोखी रेल लाइन है, पोस्टलिंगबर्गबाहन. 11.6 प्रतिशत की खड़ी ढलान और 255 मीटर की ऊंचाई को पार करती यह लाइन फ्रिक्शन आधारित रेलवे के सबसे बेहतरीन उदाहरण में गिनी जाती है. इलेक्ट्रिक ट्राम तकनीक पर चलने वाली यह ट्रेन शहर के मोड़ों, चढ़ाइयों और तंग रास्तों को बड़ी आसानी से पार करती है.

सीनिक रेलवे

ऑस्ट्रेलिया की बात करें तो यहां की सीनिक रेलवे का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. यह रेलवे 52 डिग्री यानी 128 प्रतिशत की ढलान पर बलुआ पत्थर की ऊंची चट्टानों के बीच ऊपर चढ़ती है. यह लाइन कभी खनन के लिए बनाई गई थी, लेकिन अब यह पर्यटकों के लिए दुनिया के सबसे थ्रिलिंग रेल एक्सपीरियंस में से एक बन चुकी है.

क्या खास है इन रेल लाइनों में?

इन सभी रेल लाइनों में सबसे खास बात यह है कि इन्हें सिर्फ रोमांच के लिए नहीं, बल्कि पूरी सुरक्षा को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. जहां जरूरत हो वहां रैक रेल, कॉगव्हील, मजबूत ब्रेकिंग सिस्टम और स्लोप-एडजस्टिंग केबिन लगाए जाते हैं. खासकर फ्यूनिकुलर रेलवे में दो गाड़ियां एक-दूसरे से केबल द्वारा जुड़ी होती हैं-एक ऊपर चढ़ती है, दूसरी नीचे उतरती है और यह संतुलन ऊर्जा बचाने के साथ सुरक्षा का भी ख्याल रखता है.

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