दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां की राजनीति सियासी उठापटक की शिकार रही है. इन देशों के विद्रोही गुट और सेनाएं इतनी ताकतवर हैं वह कभी भी जनता की चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंकते हैं. इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ता है. भारत का कट्टर दुश्मन पाकिस्तान भी इस सियासी उठापटक का शिकार होता रहता है और यहां अराजकता इस कदर हावी है कि कई बार यहां सरकार का तख्तापलट हो चुका है.
आज हम आपको पाकिस्तान के साथ-साथ उन देशों के बारे में बताएंगे, जहां सेना के हाथों में पूरी ताकत होती है और इन देशों का आर्मी चीफ इतना ताकतवर होता है कि वह कभी भी जनता द्वारा चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकता है. इसके अलावा ऐसे देशों के बारे में भी जानेंगे, जहां सरकार की कमजोरी की वजह से विद्रोही गुटों ने तख्तापलट किया. आइए जानते हैं ऐसे देशों के बारे में...
कब होता है तख्तापलट?
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, तख्तापलट की घटनाएं उन देशों में ज्यादा होती हैं, जहां मानव विकास सूचकांक (HDI) काफी कम होता है. यहां गरीबी, भुखमरी, महंगाई के कारण जनता में अराजकता फैल जाती है और सरकार पर उसका भरोसा कम होने लगता है. ऐसी स्थिति में सेना या फिर विद्रोही गुट इसका फायदा उठाता है और लोगों को अपने पक्ष में कर लेता है. इसके बाद या तो सरकार खुद गिर जाती है या फिर सैन्य बल द्वारा सरकार को गिरा दिया जाता है.
इस देश में आम है तख्तापलट
आंकड़ों को देखें तो अफ्रीकी देशों में तख्तापलट की घटनाएं काफी आम हैं, जिसकी वजह यहां गरीबी, भुखमरी और महंगाई ही है. हालांकि, इस लिस्ट में सबसे ऊपर दक्षिण अमेरिकी देश बोलीविया है. 1825 में स्पेन से आजाद होने के बाद इस देश में अब तक 190 बाद तख्तापलट की कोशिशें हुई हैं. आखिरी बार तख्तापलट का प्रयास 2019 में हुआ था, जहां मौजूदा सरकार को खुद इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया गया था.
भारत के पड़ोसी देशों में भी हुए हैं तख्तापलट
भारत के पड़ोसी देशों में भी तख्तापलट की घटनाएं आम हो चुकी हैं. कट्टर दुश्मन देश पाकिस्तान में अब तक चार बार तख्तापलट हो चुका है. यहां आखिरी तख्तापलट 1999 में सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने किया था, उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार गिराई थी. इसके अलावा 2022 में श्रीलंका में भी ऐसा ही तख्तापलट देखा गया था. यहां जनता सड़क पर उतर आई थी और देश भर में इतने जोरदार प्रदर्शन हुए कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा. इससे पहले तालिबान ने 2021 में अफगानिस्तान की गनी सरकार का तख्तापलट किया था, जिसके बाद से यहां तालिबानी शासन है. पिछले साल बांग्लादेश में भी ऐसा ही देखने को मिला था, जहां विरोध प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना को जान बचाने के लिए भारत में शरण लेनी पड़ी थी.
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