भारत में सड़क सुरक्षा पर सख्त नियम होने के बावजूद बहुत लोग इसका पालन नहीं करते हैं. इतना ही नहीं सड़क सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करने के कारण ऐसे लोग सड़क दुर्घटना का शिकार भी होते हैं. दिल्ली के एम्स जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर (जेपीएनएटीसी) द्वारा जारी वर्ष 2021-2022 के आंकड़े बताते हैं कि सेंटर में आने वाले ज्यादातर सड़क दुर्घटना के मामलों में वे लोग शामिल हैं, जिन्होंने नियमों का पालन नहीं किया है. आज हम आपको बताएंगे कि ट्रॉमा सेंटर की रिपोर्ट क्या कहती है. 


हेलमेट नहीं पहनने से दुर्घटना बढ़ी ?


एम्स के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021-22 में सड़क दुर्घटनाओं के दौरान ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने वाले अधिकांश मरीज ऐसे थे, जो गाड़ी चलाते समय हेलमेट नहीं पहनते थे. इसमें दोपहिया वाहन चालक के साथ-साथ पीछे बैठा यात्री भी शामिल है. हेलमेट नहीं पहनने के कारण दुर्घटना होने पर इन्हें गंभीर चोटें आई थी.  एम्स में ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख डॉ. कामरान फारूक ने बताया कि साल 2021 में सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने वाले मरीजों में 18.59 फीसदी ऐसे थे, जिन्होंने गाड़ी चलाते समय हेलमेट नहीं पहना था, वहीं ड्राइविंग सीट के पीछे बैठने वाले 43.79 प्रतिशत लोगों ने हेलमेट नहीं पहना था. साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक दोपहिया वाहन चालकों में हेलमेट पहनने को लेकर पूरी जागरूकता नहीं थी. लेकिन साल 2021 की तुलना में वाहन चलाने वालों की संख्या में थोड़ी कमी देखी गई है.



इसके अलावा वर्ष 2022 में बिना हेलमेट पहने गाड़ी चलाने वालों का आंकड़ा 18.59 प्रतिशत से घटकर 15.42 प्रतिशत तक पहुंच गया था. वहीं दोपहिया वाहन की पिछली सीट पर बैठने वाले और वाहन चलाते समय हेलमेट नहीं पहनने वाले यात्रियों की संख्या वर्ष 2022 में 41.12 प्रतिशत थी. डॉ. फारूक ने बताया कि हमने आंकड़ों में पाया कि दोपहिया पर पीछे बैठने वाले 40 प्रतिशत लोग दुर्भाग्य से हेलमेट नहीं पहन रहे हैं. एम्स के ट्रॉमा सेंटर के प्रमुख ने कहा कि यदि आप जीवन को महत्व देते हैं, तो सुनिश्चित करें कि जब भी आप दोपहिया वाहन चलाए उस वक्त हेलमेट जरूर पहने.  


 


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