Measles Treatment: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई खसरे के खौफ में है. विश्व के कई देशों में बच्चे इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं. खसरा तेजी से फैलने वाला संक्रामक रोग है. डॉक्टरों का कहना है कि यदि कोई छोटा बच्चा खसरे संक्रमित है और उसके पास में कोई स्वस्थ्य बच्चा है तो उसे खसरा होने में अधिक समय नहीं लगेगा. खसरे से बचाव केवल समय पर होने वाला वैक्सीनेशन है. डॉक्टरों ने बताया कि वैक्सीन से 100 प्रतिशत बचाव संभव नहीं है. लेकिन एक बार वैक्सीन लगने के बाद खसरा से होने वाले खतरा काफी कम हो जाता है.


दो तरह की होती है खसरे की वैक्सीन


खसरे की वैक्सीन दो तरह की होती है. इनमें खसरा, मंप्स और रुबेला MMR वैक्सीन और दूसरी तरह की वैक्सीन MMRV तरीके की होती हैं. इनमें मंप्स, रुबेला, वेरिसेला होती हैं 


1. MMR वैक्सीन की आमतौर पर दो खुराक देी जाती है. पहली डोज 12 से 15 साल की उम्र और दूसरी 4 से 5 साल में दी जाती है


2. MMRV वैक्सीन 2 महीने से 12 साल के बच्चों को दी जाती है. पहली डोज 12 से 15 महीने के बीच, जबकि दूसरी वैक्सीन 4 से 6 साल के बीच दी जाती है. 


क्या होते हैं इसके लक्षण
यदि समय से वैक्सीन लगवा दी जाए तो खसरे से बचा जा सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि बीमारी के लक्षण 14 दिन बाद तक दिख सकते हैं. ऐसे में यदि पहले कुछ दिन में कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं तो यह न समझें कि बच्चा खसरा की चपेट में नहीं आया है. लक्षण की बात करें तो बहती नाक, सूखी खांसी, आंखें लाल होना, बुखार, शरीर पर चकत्ते होना शामिल हैं. 


कोविड के बाद बिगड़े हालात
खसरे का खतरा कोविड वायरस ने अधिक बढ़ाया है. डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने हाल में मीडिया में बताया था कि कोविड के कारण खसरे का वैक्सीनेशन अभियान प्रभावित हुआ. कई देशों में बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. आलम यह रहा कि वैक्सीनेशन की कमी के कारण इस साल खसरे ने तेजी से पांव पसार दिए. मुंबई में 160 से अधिक केस सामने आ चुके हैं. कई बच्चों की जान जा चुकी हैं. बचाव के लिए बच्चे को भीड़भाड़ वाले एरिया में न लेकर जाएं. खुद भी जाने से बचें. 


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 


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