बिहार की मिट्टी में बोलचाल का अंदाज सिर्फ मजेदार ही नहीं, बल्कि शोध का विषय भी बन सकता है. इसका जिंदा उदाहरण है गली, चौक और चाय की थड़ी पर लोगों के बीच चर्चा में छाया शब्द ‘थेथरोलॉजी’. हो सकता है आपके लिए ये शब्द नया हो और समझ से परे हो, लेकिन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग इससे भली भांति वाकिफ हैं और वजन शब्द में इतना है कि ऑक्सफॉर्ड इसे अपने शब्दकोष में जोड़ने का विचार अगर करने लगे तो गलत नहीं होगा. बिहारियों की खास ‘सिधाई में छिपी शरारत’ वाले स्वभाव पर मजाकिया तंज की तरह इस्तेमाल होने वाला यह देसी टर्म अब चर्चा में इसलिए है क्योंकि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इसका इस्तेमाल नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लेकर कर दिया है.

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जानिए क्या है "थेथरोलॉजी" शब्द के मायने

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में एक शब्द आम बोलचाल में इस्तेमाल किया जाता है थेथर. दरअसल, थेथर उस शख्स के लिए इस्तेमाल होता है जो बहस के दौरान हठी हो जाता है. यानी वाद विवाद में जब तर्क खत्म हो जाते हैं तो जबरन बहस करके खुद को ही सही साबित करने पर उतर आने वाले शख्स को कहते हैं 'थेथर'. इसे बोलचाल में यूं कहा जाता है "तू थेथर है रे?" इसी शब्द के मायने को अगर मनोवैज्ञानिक रूप दे दिया जाए तो नया शब्द निकलकर आता है थेथरोलॉजी. थेथरोलॉजी जबरन बहस करके खुद को ही सही साबित करने की कोशिश करने वाले शख्स की मनोदशा और मानसिक स्थिति को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

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क्यों चर्चा में आया ये शब्द?

दरअसल, एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जो खुद बिहार के बेगूसराय से आते हैं पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे. इस पर जब उनसे सवाल पूछा गया कि कांग्रेस मंदिर के पक्ष में फैसला लाने वाले जज के खिलाफ महाअभियोग ला रही है तो उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि विनाश काले विपरित बुद्धि. राहुल गांधी थेथरोलॉजी के मास्टर हैं और उन्हें संविधान पर भरोसा नहीं है. तभी से इस शब्द की चर्चाएं होने लगीं और इसका मतलब समझना जरूरी हो गया.

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