Mahakumbh Stampede Death Toll: मौनी अमावस्या पर शाही स्नान से पहले महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर संसद में घमासान मचा हुआ है. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी और 60 लोग घायल हुए थे. हालांकि, विपक्ष का दावा है कि सरकार मृतकों और घायलों के आंकड़े छिपा रही है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसको लेकर सरकार को घेरा है. उन्होंने कहा, महाकुंभ त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो और सच्चाई छिपाने वालों को सजा मिले. अगर कोई दोषी नहीं था तो आंकड़े क्यों दबाए गए, छिपाए गए और मिटाए गए? 

इतना ही नहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो महाकुंभ में मची भगदड़ में हजारों लोगों की मौत का दावा किया है. भगदड़ के बाद सामने आई कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि महाकुंभ में संगम नोज के अलावा दूसरी जगह भी भगदड़ मची थी, लेकिन उसे छिपा लिया गया. इस भगदड़ में भी कई मौतों का दावा किया जा रहा है. अब सवाल यह है कि सरकार भगदड़ में मृतकों और घायलों की गिनती कैसे करती है? इस बारे में किसके आंकड़े को सबसे सटीक माना जाए? 

महाकुंभ में क्या हुआ था?

महाकुंभ में 28 जनवरी को मौनी अमावस्या के अमृत स्नान से पहले रात करीब 2 बजे भगदड़ मची थी. इसमें कई लोग घायल हुए और भीड़ में दबने के कारण कई लोगों की मौत हो गई. इस घटना के करीब 17 घंटे बाद यूपी सरकार की ओर से आंकड़े जारी किए गए, जिसमें 30 मौतों और 60 लोगों के घायल होने की बात कही गई. इसमें 25 मृतकों की शिनाख्त होने की भी बात कही गई. हालांकि, इन आंकड़ों के बाद पुलिस की ओर से करीब 24 लावारिश लाशों की शिनाख्त के लिए तस्वीरें जारी की गईं. ये तस्वीरें ही सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े कर रही हैं. 

भगदड़ के बाद कैसे एक्शन लेती है सरकार?

किसी भी भगदड़ जैसी घटना में अधिकारियों का फोकस घायलों को रेस्क्यू करने पर होता है, जिससे संभावित मौतों को कम किया जा सके. अधिकारी सबसे पर एंबुलेंस के माध्यम से घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजते हैं. सभी घायलों को रेस्क्यू करने के बाद मृतकों की लाशों को मार्च्युरी भेजा जाता है. इसके बाद प्रशासनिक अधिकारी मार्च्युरी में पहुंचे शवों और अस्पताल में भर्ती लोगों की गिनती करते हैं और ये आंकड़े जिलाधिकारी को सौंपे जाते हैं. 

किसके आंकड़े होते हैं अंतिम

किसी भी जिले का सबसे बड़ा अधिकारी डीएम यानी जिलाधिकारी होता है. वह जिले की प्रशासनिक व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार होता है, किसी भी बड़ी घटना में अंतिम आंकड़े जिलाधिकारी कार्यालय द्वारा ही जारी किए जाते हैं. हालांकि, सार्वजनिक करने से पहले इन आंकड़ों को सरकार के पास भेजा जाता है. 

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