प्रयागराज में लगे महाकुंभ 2025 के दौरान बड़ा हादसा हो गया. यहां मौनी अमावस्या के मौके पर होने वाले शाही स्नान से पहले संगम नोज के पास भगदड़ मच गई. इस हादसे में अब तक 10 लोगों की मौत की खबर आ रही है, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है. क्या आपको पता है कि भगदड़ जैसी घटनाओं से कुंभ क्षेत्र कब-कब लहूलुहान हो चुका है? वहीं, एक भगदड़ का आरोप तो तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर लगा दिया गया था. आइए आपको कुंभ क्षेत्र में हुए ऐसे हादसों से रूबरू कराते हैं.
ऐसे हुआ 2025 का हादसा
जानकारी के मुताबिक, प्रयागराज महाकुंभ में रात करीब एक बजे संगम नोज के पास भगदड़ मच गई. कहा जा रहा है कि उस वक्त भीड़ काफी ज्यादा थी और हर कोई संगम नोज की तरफ जाना चाहता था, जिससे हालात बेकाबू हुए. इस हादसे में अब तक 10 लोगों की मौत की खबर आ रही है. हालांकि, इस पुष्टि शासन-प्रशासन की तरफ से नहीं की गई है.
2013 में भी हुई थी दर्दनाक घटना
गौरतलब है कि साल 2013 के दौरान जब प्रयागराज में कुंभ लगा, तब मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के दिन भगदड़ मची थी. हुआ यूं था कि 10 फरवरी के दिन हुए इस हादसे में प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मच गई थी. इस दर्दनाक हादसे में 36 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.
हरिद्वार कुंभ की जमीन भी खून से हुई थी लाल
साल 2010 के दौरान हरिद्वार में कुंभ लगा था. उस दौरान 14 अप्रैल के दिन मेला परिसर में भगदड़ मच गई. उस हादसे में सात लोगों की मौत हो गई थी.
नासिक कुंभ में इतने लोगों ने गंवाई थी जान
नासिक में 2003 के कुंभ मेले का आयोजन किया गया था. यहां 27 अगस्त के दिन भगदड़ मच गई थी, जिसमें 39 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.
उज्जैन में हुई थी इतने लोगों की मौत
1992 के दौरान जब उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेला लगा, तब वहां भी भगदड़ मच गई थी. उस हादसे में 50 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी.
जब नेहरू पर लगा था भगदड़ का आरोप
आजादी के बाद प्रयागराज में 1954 के दौरान पहली बार कुंभ का आयोजन किया गया. उस दौरान तीन फरवरी को मौनी अमावस्या थी. अचानक वहां भगदड़ मच गई. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उस हादसे में करीब 800 लोगों की मौत हुई थी. बताया जाता है कि इस हादसे से एक दिन पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कुंभ क्षेत्र का दौरा किया था और तैयारियों का जायजा लिया था. जब यह हादसा हुआ तो विपक्ष ने इसका आरोप नेहरू पर मढ़ दिया था.