लखनऊ का नाम सुनते ही सबसे पहले आपके जेहन में क्या आता है? एक नवाबी शहर, नवाबी तहजीब और नवाबी स्वाद. वेज हो या नॉनवेज, स्वाद की दुनिया में लखनऊ की एक अलग जगह है. यहां का टुंडे कबाबी, वाहिद बिरयानी, वाजपेयी कचौड़ी और कुल्फी पूरी दुनिया में फेमस है. ये तो हो गई खानपान की बात, अब लखनऊ की चिकनाकारी की बात भी कर लेते हैं. यहां की चिकनकारी के भी दीवाने पूरे भारत से लेकर दुनिया के कोने-कोने में मौजूद हैं.
अब अपना लखनऊ यूनेस्को की क्रिएटिव शहरों की लिस्ट में भी शामिल होने जा रहा है. दरअसल, हाल ही में गैस्ट्रोनॉमी फॉर अवधी कुजीन कैटेगरी के तहत लखनऊ का नाम क्रिएटिव शहरों की लिस्ट में शुमार करने के लिए वर्ल्ड हेरीटेज सेंटर को प्रस्ताव भेजा गया है. जल्द ही यूनेस्को की टीम इसके लिए लखनऊ का दौरा भी कर सकती है. अब सवाल यह है कि दुनिया के क्रिएटिव शहरों की लिस्ट में किसी शहर का नाम कैसे जुड़ता है और इसकी प्रक्रिया क्या होती है? सरकार द्वारा किया जाता है शहर का नाम नॉमिनेट
यूनेस्को की क्रिएटिव शहरों की लिस्ट में किसी शहर का नाम प्रस्तावित करने के लिए वहां की सरकार द्वारा प्रस्ताव भेजा जाता है. लखनऊ की मंडलायुक्त रोशन जैकब के अनुसार, भारत सरकार द्वारा लखनऊ को यूनेस्को क्रिएटिव सिटी फॉर गैस्ट्रोनॉमी के लिए नामित किया गया है. इसके बाद शहर से संबंधित रिकॉर्ड्स और डेटा यूनेस्को को भेजा जाता है. भारत सरकार की ओर से यह काम उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति और पर्यटन विभाग को सौंपा गया है.
यूनेस्को की टीम करती है दौरा
जब किसी सरकार द्वारा इस कैटेगरी में शहर का नाम प्रस्तावित किया जाता है, उसके बाद भेजे गए रिकॉर्ड्स और डेटा की पुष्टि के लिए यूनेस्को के अधिकारी उस शहर का दौरा करते हैं और सभी डेटा को वैरीफाइ करते हैं. अगर सभी चीजें सही होती हैं तो यूनेस्को द्वारा क्रिएटिव शहरों की लिस्ट में उस शहर का नाम शामिल कर लिया जाता है.
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