दुनियाभर में बहुत सारी ऊंची बिल्डिंग बनी हुई हैं. इन सभी बिल्डिंग में ऊपर के फ्लोर पर जाने के लिए लिफ्ट लगे होते हैं, क्योंकि बिना लिफ्ट के इंसान को पैदल जाने में बहुत समय और मेहनत लगती है. लेकिन सवाल ये है कि आखिर इस लिफ्ट का आविष्कार किसने किया था और ये कब सबसे पहले कब बनी थी? 


लिफ्ट


ऊंची बिल्डिंग में आप बटन दबाते हैं और मिनटों में ऊपर मंजिल से ग्राउंड फ्लोर या नीचे से ऊपर पहुंच जाते हैं. इसके लिए आप को ढेर सारी सीढ़ियां चढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती है. बिना लिफ्ट के 10 फ्लोर ऊपर जाना कितना कठिन काम हो सकता है. बता दें कि लिफ्ट या एलीवेटर एक ऐसी गाड़ी या सुविधा है, जो बहुमंजिली इमारतों में आदमियों और सामान को ऊपर-नीचे लेकर जाने में मदद करती है. इसके अलावा अत्याधुनिक लिफ्ट अब बिजली से चलती हैं. जिसमें केबल और चरखियों से वजन को संभाला जाता है. जानकारी के मुताबिक लिफ्ट का आविष्कार किसी एक व्यक्ति द्वारा एक दिन में नहीं हुआ. जानकारी के मुताबिक जो लिफ्ट हम देखते हैं या उसको धीरे-धीरे विकसित किया गया है. 


पहले कैसे चलता था लिफ्ट


बता दें कि लिफ्ट को घिरनियों के जरिए चलाया जाता है. पहले के समय घिरनियों को खींचने या संचालित करने का काम आदमी, पशु या जलशक्ति से किया जाता था. लेकिन 1800 ईंस्वी के करीब इसे भाप की ताकत से चलाया जाने लगा था. इसके बाद 19वीं सदी के शुरू में द्रवचालित लिफ्ट इस्तेमाल की जाने लगी थी. इनसे केवल सामान ढोया जाता था. क्योंकि ये आदमियों को चढ़ाने उतारने के लिए बहुत विश्वसनीय नहीं मानी जाती थी. 


सबसे पहला लिफ्ट


जानकारी के मुताबिक 1852 में एलिशा ग्रेव्स ओटिस ने लिफ्ट में सुरक्षा यंत्र लगाए थे. इस तरह मनुष्यों को लिफ्ट के जरिए ऊपर नीचे लेकर जाने का काम शुरू किया गया था. बता दें कि आधुनिक लिफ्ट का आविष्कार अमेरिकी उद्योगपति इलिशा ओटिस ने सबसे पहले किया था. अब ओटिस नाम की कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी लिफ्ट निर्माता और असेंबलिंग कंपनी है.


इसके अलावा पहली यात्री लिफ्ट 1857 में न्यूयार्क सिटी के हावूट डिपार्टमेंटल स्टोर में शुरू की गई थी. हालांकि उस वक्त ये भाप से चलती थी. एक मिनट से कम समय समय में 05 मंजिलें चढ़ जाती थी. उसके बाद अगले तीन दशकों तक इस लिफ्ट में संशोधन होते रहे थे. इसके बाद लिफ्ट में सबसे अहम बदलाव 1889 में शुरू हुआ था, जबकि इसमें पुश बटन का इस्तेमाल होने लगा था. 


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