Ladakh Statehood: लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग और तेज हो गई है. लेह में प्रदर्शन किया जा रहा है क्योंकि लोगों की मांग है कि केंद्र शासित प्रदेश को छठे शेड्यूल के तहत विशेष दर्जा और पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं की पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद क्या फायदा होता है. आइए जानते हैं.

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पूर्ण राज्य के दर्जे का क्या मतलब है 

दरअसल पूर्ण राज्य का दर्जा केंद्र शासित प्रदेश को एक सेल्फ गवर्निंग स्टेट में बदल देता है. इसमें अपनी विधानसभा, मुख्यमंत्री और सरकार होती है. केंद्र शासित प्रदेश में जहां प्रशासनिक शक्तियां मुख्य रूप से केंद्र के पास होती हैं वही एक राज्य को अधिकांश विषयों पर अपने कानून बनाने और लागू करने का पूरा अधिकार होता है. लेकिन रक्षा, विदेश मामले और मुद्रा जैसे मामलों पर राज्य केंद्र सरकार के ही अधीन होता है. बस उस राज्य को ज्यादा राजनीति और प्रशासनिक स्वतंत्रता मिल जाती है.

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पूर्ण राज्य का दर्जा कैसे दिया जाता है 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत संसद को नए राज्य बनाने या फिर मौजूद राज्यों को बदलने का पूरा अधिकार है. इस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं. सबसे पहले स्थानीय समूह या फिर राजनीतिक दल द्वारा यह मांग उठाई जाती है. इसके बाद इन मांगों को केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है. केंद्र मंत्रिमंडल इन अनुरोधों की समीक्षा करता है और उसके बाद राष्ट्रपति को भेजता है. इसके बाद संसद में एक पुनर्गठन विधेयक पेश किया जाता है और जब दोनों सदन इसे मंजूरी दे देते हैं तो नए राज्य का दर्जा लागू हो जाता है.

इससे क्या होंगे फायदें

राज्य सरकार होने से कोई भी राज्य अपने सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक चीजों के मुताबिक अपने कानून और नीतियों को बना सकता है. इसी के साथ बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे मुद्दों पर स्थानीय स्तर पर निर्णय लिए जा सकत हैं. इतना ही नहीं बल्कि पंचायतें, नगर पालिकाएं और जिला निकाय राज्य प्रणाली के अंतर्गत काम करती हैं. साथ ही राज्य अपने टैक्स को संग्रह कर सकता है और अपनी जरूरत के मुताबिक संसाधनों को बांट सकता है.  इतना ही नहीं बल्कि राज्य के लोग संसद के साथ-साथ अपनी विधानसभा में भी प्रतिनिधित्व कर पाते हैं और उनकी आवाज मजबूत होती हैं. पूर्ण राज्य बनने के बाद केंद्र पर डिपेंडेंसी थोड़ी कम हो जाती है.

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