Kolkata Rape And Murder Case: कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुए रेप और हत्या के एक मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. यहां रात को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ पहले बलात्कार किया गया और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई. इस हैवानियत को अंजाम देने वाले आरोपी का नाम था संजय रॉय, जिसे अब कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. जबकि पूरा देश और पीड़िता का परिवार ये उम्मीद लगाए बैठा था कि इस दरिंदे को फांसी की सजा सुनाई जाएगी. हालांकि कोर्ट ने ऐसा नहीं किया और इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानने से इनकार कर दिया. ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि किन मामलों को रेयरेस्ट ऑफ रियर में शामिल किया जाता है. 

भारतीय कानून में जीने का अधिकारदुनिया के कई देशों में यहां छोटे से अपराध के लिए भी लोगों को मौत की सजा सुना दी जाती है, वहीं भारत में ऐसा नहीं है. यहां दोषी या आरोपी को हर मुमकिन कानूनी मदद मिलती है और उसे जीने का अधिकार संविधान में दिया गया है. हालांकि जब देश में ऐसे मामले आए, जिन्होंने इंसानियत को पूरी तरह शर्मसार कर दिया और लोगों को दहलाकर रख दिया तो इस पर बहस शुरू हो गई. 1980 में एक ऐसा केस आया, जिसने ये तय कर दिया कि किन मामलों में मौत की सजा दी जा सकती है. 

जब पहली बार हुआ रेयरेस्ट ऑफ रियर का जिक्रपंजाब में बच्चन सिंह नाम के एक हत्यारे ने अपनी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया. जिसके लिए उसे 14 साल जेल की सजा हुई, लेकिन जब वो जेल से बाहर निकला तो उसने विवाद के चलते अपने भाई के बच्चों को कुल्हाड़ी से काट दिया. इसके बाद निचली अदालत ने बच्चन सिंह को मौत की सजा सुनाई, जिसे हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा. 

मौत की सजा मिलने के बाद हत्यारे ने संविधान की दुहाई देते हुए कोर्ट में अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इसे खारिज कर दिया और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस में संविधान में दिए गए जीने के अधिकार को वापस लिया जा सकता है. यहां पहली बार रेयरेस्ट ऑफ रेयर का जिक्र हुआ था. 

इन मामलों में मिलती है मौत की सजायानी किसी भी शख्स को मौत की सजा तब दी जा सकती है जब मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना जाएगा. इस तरह के मामलों में किसी की बेरहमी से हत्या, किसी को जिंदा जलाना या फिर सामूहिक हत्याएं शामिल होती हैं. हालांकि कोलकाता वाले मामले में भी जरूर बर्बरता हुई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस मानने से इनकार कर दिया, यही वजह रही कि दोषी संजय रॉय को मौत की सजा के बजाय उम्रकैद की सजा सुनाई गई. 

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