भारत में लोग जमीन खरीदने हैं फिर उसे पर अपना मनचाहा घर बनवाते हैं. कभी कभार कोई जमीन खरीदना है तो सिर्फ मुनाफे के उद्देश्य से. किसी को कोई पुश्तैनी जमीन मिल जाती है उस पर खेती-बाड़ी करता है. तो कोई उसे बेचकर कहीं और पैसे इन्वेस्ट कर देता है. यह तो रही वह बात है जो जमीन खरीदने और बेचने को लेकर आम होती है. इसमें कानूनी प्रकिया के दांव पेंच भी शामिल होते है. भारत में कुछ इस प्रकार की भी जमीन है. जिन्हें आप ना खरीद सकते हैं और ना ही भेज सकते हैं. इस खबर में बात करते हैं ऐसी ही जमीनों के बारे में. 


पट्टे की जमीन 


पट्टी की जमीन वह जमीन होती हैं जिन पर किसी का अधिकार नहीं होता ऐसी जमीन पर सरकार का अधिकार होता है और सरकार अपने अनुसार कुछ समय के लिए किसी व्यक्ति को इस जमीन को अलॉट कर सकती है पट्टा मिलने के बाद जिसको वह जमीन मिलती है वह उसका मालिक नहीं होता वह व्यक्ति ना तो उसे जमीन को बेच सकता है और ना ही उसे ट्रांसफर कर सकता है. एक तरह से कहें तू ही है लीज पर दी जाती है. 


सरकार द्वारा दी गई जमीन


किसी को जीवन यापन के लिए सरकार द्वारा दी गई संपत्ति या किसी मालिक द्वारा किसी व्यक्ति को इस्तेमाल के लिए दी गई जमीन को बेचा नहीं जा सकता है. जैसे किसी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सरकार ने रहने के लिए घर मुहैया कराया है. तो जिस व्यक्ति या महिला के नाम पर वह घर है वह उसे नहीं बेच सकते. ऐसी संपत्ति को खरीदना भी कानूनी अपराध माना जाएगा.

विवादित जमीन


विवादित जमीन तब तक नहीं भेजी जा सकती जब तक उसे पर चल रहा विवाद खत्म नहीं हो जाता. विवाद से यहां तात्पर्य व्यवहारिक विवाद से नहीं बल्कि कानूनी केस ये है. जिन जमीनों पर केस चल रहे हो उन्हें कानूनी प्रक्रिया के दौरान बेचा नहीं जा सकता. हालांकि यह तभी मान्य है जब इस विवाद में केस करने वाले व्यक्ति का जमीन से कोई ना कोई संबंध हो.