मोहम्मद अली जिन्ना जिन्हें पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में जाना जाता है. पाकिस्तान को एक अलग देश बनाने में जिन्ना का अहम रोल रहा है. जिन्ना ने आजादी के दौरान धर्म के आधार पर ही अलग देश बनाने की बात कही थी इसीलिए पाकिस्तान का निर्माण हुआ. ऐसे में चलिए जानते हैं कि पाकिस्तान बनने के कितने दिन बाद उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा.

कौन थे जिन्ना?

जिन्ना ने मुस्लिमों के लिए अलग देश बनाने के लिए भारत से बंटवारे की मांग की थी. इसी वजह से पाकिस्तान में जिन्ना को राष्ट्रपति का दर्जा दिया जाता है. लेकिन वो खुद हिंदू परिवार में पैदा हुए थे जो बाद में मुस्लिम बन गए. बता दें कि पाकिस्तान का निर्माण 14 अगस्त 1947 को हुआ था जब भारत का बंटवारा हुआ और एक नए राष्ट्र का जन्म हुआ. मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान में 'कायदे-आजम' यानी महान नेता और 'बाबा-ए-कौम' कहा जाता है. जिन्ना इस नए देश के पहले गवर्नर जनरल बने. लेकिन उनकी मृत्यु बहुत जल्द हो गई.

कब दुनिया हुई थी जिन्ना की मृत्यु?

जिन्ना का निधन 11 सितंबर 1948 को कराची में हुआ था. इसका मतलब है कि पाकिस्तान बनने के करीब एक साल बाद ही जिन्ना का देहांत हो गया. जिन्ना उस समय गंभीर रूप से बीमार थे. वे टीबी की बीमारी से पीड़ित थे, लेकिन उन्होंने अपनी बीमारी को गुप्त रखा. 11 सितंबर 1948 को जिन्ना को क्वेटा से कराची लाया जा रहा था. इस दौरान उनकी एम्बुलेंस का पेट्रोल बीच रास्ते में खत्म हो गया, जिससे उनकी हालत और बिगड़ गई. कराची पहुंचने के कुछ घंटों बाद ही उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु ने पाकिस्तान को गहरा झटका दिया, क्योंकि वे उस समय देश को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे.

जिन्ना की मौत पर विवाद क्यों?

जिन्ना की मृत्यु के बाद उनके धर्म को लेकर भी विवाद हुआ.  जब उनकी मौत हुई तो सवाल उठा कि उन्हें दफ्न शियाओं के तौर तरीकों से किया जाए या सुन्नियों के. हालांकि वे मूल रूप से इस्माइली थे, लेकिन बाद में शिया इस्लाम अपनाने की बात कही जाती है. उनके अंतिम संस्कार में शिया और सुन्नी दोनों परंपराओं का पालन किया गया.

इसे भी पढ़ें- भारत का एक शहर ऐसा भी...जहां 15 नहीं 14 अगस्त की रात को ही फहरा देते हैं तिरंगा