सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को पकड़कर डॉग शेल्टर में रखने के आदेश में संधोधन किया और कहा कि आवारा कुत्तों को पकड़कर उनका नसबंदी और टीकाकरण किया जाए इसके बाद उन्हें वहीं वापस छोड़ा जाए जहां से वो लाए गए थे. चलिए जानते हैं कि कैसे होती है कुत्तों की नसबंदी, इसके लिए सरकार को कितने रुपये करने होंगे खर्च? कुत्तों की नसबंदी आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी और उनसे होने वाली समस्याओं जैसे कुत्तों के काटने और रेबीज के खतरे को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी एक प्रभावी उपाय है. भारत में केंद्र और राज्य सरकारें इस दिशा में कई कदम उठा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया गया था. चलिए जानते हैं कि कुत्तों की नसबंदी की प्रक्रिया और इसके लिए सरकारी खर्च के बारे में. कैसे होती है कुत्तों के नसबंदी की प्रक्रिया
कुत्तों की नसबंदी की प्रक्रियाकुत्तों की नसबंदी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य कुत्तों की प्रजनन क्षमता को समाप्त करना है. यह प्रक्रिया नर और मादा दोनों कुत्तों पर की जाती है. प्रक्रिया की शुरुआत आवारा कुत्तों को पकड़ने से होती है. प्रशिक्षित कर्मचारी मानवीय तरीकों से कुत्तों को पकड़कर नसबंदी केंद्रों में ले जाते हैं. वहां पशु चिकित्सकों द्वारा कुत्तों की स्वास्थ्य जांच की जाती है. इसके बाद, कुत्तों को बेहोश करने के लिए एनेस्थीसिया दिया जाता है.
टीका भी लगाया जाता है
इसके बाद ऑपरेशन किया जाता है. मेल डॉग के टेस्टिकल्स को सर्जरी के माध्यम स हटाया जाता है जबकि मादा कुत्तों में, अंडाशय और गर्भाशय को हटाने के लिए पेट में एक छोटा चीरा लगाया जाता है. सर्जरी के बाद, कुत्तों को कुछ दिनों तक निगरानी में रखा जाता है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे ठीक हो रहे हैं. इसके साथ ही, उन्हें रेबीज-रोधी टीका भी दिया जाता है. सर्जरी के बाद कुत्तों को उसी क्षेत्र में वापस छोड़ दिया जाता है, जहां से उन्हें पकड़ा गया था.
नसबंदी का खर्च
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