आगरा का लाल किला और दिल्ली का लाल किला दोनों ही मुगलकालीन ऐतिहासिक स्मारक हैं जो अपनी भव्य स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है. चलिये जानते हैं कि दोनों में क्या अंतर है और किसे बनाने में ज्यादा पैसा लगा था.  दिल्ली के लाल किले का इतिहास मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं सदी में लाल किले को बनवाया था. लाल पत्थरों से बना होने के कारण इसे लाल किला कहा जाने लगा लेकिन इसका दूसरा नाम किला-ए-मुबारक था. लाल किले की नींव 1938 में रखी गई थी जिसे तैयार होने में करीब एक दशक लग गए थे. इस किले को सम्राट की शक्ति और भव्यता के प्रतीक के रूप में बनाया गया था. मुगल परिवार लाल किले में 200 साल तक रहे थे. बता दें कि इस इमारत को बनाने में कुल 1 करोड़ रुपये का खर्च आया था. 

आगरा के लाल किले का इतिहास

आगरा का लाल किला, जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है. यह दुनिया के सात अजूबों में से एक ताजमहल से करीब 2.5 किमी दूर है. 16वीं शताब्दी में सम्राट अकबर द्वारा बनवाया गया था. इसका निर्माण 1565 में शुरू हुआ और इसे बनने में 8 साल लगे. इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया, जिसके कारण इसे लाल किला कहा जाता है. यह किला मुख्य रूप से एक सैन्य गढ़ के रूप में बनाया गया था, लेकिन बाद में शाहजहां ने इसे शाही महल के रूप में परिवर्तित किया. 

दोनों में अंतरदिल्ली का किला आगरा के मुकाबले काफी बड़ा है. दिल्ली का किला करीब 254 एकड़ में बनाया गया था. जबकि आगरा का किला करीब 94 एकड़ में बना है. भारत की राजधानी में स्थित होने के कारण दिल्ली के लाल किले में स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कई यादें यहां संजोई गई है. लाल किला शासकीय और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, भारत की आजादी और गौरव का प्रतीक है इसलिए हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहां प्रधानमंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं.

दोनों में कौन ज्यादा महंगा

आगरा के लाल किले और दिल्ली के लाल किले की निर्माण लागत की तुलना की जाए तो दोनों के निर्माण के समय और आर्थिक परिस्थितियां अलग थीं. साथ ही इनकी लागत को लेकर कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है. लेकिन अगर एरिया के हिसाब से देखा जाए तो आगरा का किला महज 94 एकड़ मे बना था जो दिल्ली के 254 एकड़ में फैले किले से छोटा है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि दिल्ली का लाल किला, आगरा के लाल किले से ज्यादा महंगा होगा. इसे भी पढें- यमुना तो दिल्ली में भी है, फिर शाहजहां ने आगरा में ही क्यों बनवाया ताजमहल?