ग्रीनपीस इंडिया की ताजा वॉटर ऑडिट रिपोर्ट ने दिल्ली में पानी की आपूर्ति से जुड़ी गंभीर असमानताओं को उजागर किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के कम आय वाले परिवार अपनी मासिक कमाई का एक अहम हिस्सा पीने के पानी पर खर्च कर देते हैं चलिए जानते हैं लोग कितना रुपये पीने के पानी पर खर्च कर देते हैं. क्या कहती है रिपोर्ट

इस रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के कम आय वाले परिवार अपनी मासिक कमाई का 15% हिस्सा पीने के पानी पर खर्च करने को मजबूर हैं. इस वॉटर ऑडिट में दिल्ली की 12 बस्तियों के 500 से अधिक घरों को शामिल किया गया. इनमें सावदा घेवरा, शकूरबस्ती, खजान बस्ती, चूना भट्टी, सीमापुरी, सुंदर नगरी और कुसुमपुर पहाड़ी जैसे इलाके शामिल हैं. सर्वे में पाया गया कि 34% लोग अपनी पानी की जरूरतों के लिए निजी जल आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर हैं. इसके अलावा, 29% लोग दिल्ली जल बोर्ड के टैंकरों पर और 21% वॉटर एटीएम पर निर्भर हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कई वॉटर एटीएम नियमित रूप से काम नहीं करते.

15 प्रतिशत हिस्सा पीने के पानी में खर्च 37% उपभोक्ताओं ने बताया कि वॉटर एटीएम में बार-बार खराबी आती है, जिससे पानी की उपलब्धता अनियमित हो जाती है. रिपोर्ट के अनुसार, जिन परिवारों की मासिक आय 6,000 से 10,000 रुपये के बीच है, वे हर महीने पानी खरीदने पर 500 से 1,500 रुपये तक खर्च कर रहे हैं. यह राशि उनके कुल बजट का 15% है, जिसके कारण उन्हें भोजन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी ज़रूरतों में कटौती करनी पड़ रही है. ऑडिट के अनुसार दिल्ली सरकार ने अप्रैल 2025 में 3000 वॉटर एटीएम लगाने की घोषणा की थी. पूरी दिल्ली में जून तक सिर्फ 20 वॉटर एटीएम चल रहे हैं जिन जगहों में यह सर्वे किया गया उनमें अधिकांश जगहों पर एक भी वॉटर एटीएम नहीं हैं.

आने वाले दिनों में गंभीर हो सकती है समस्या गर्मियों के महीनों, खासकर मार्च से जुलाई के बीच, यह समस्या और गंभीर हो जाती है. 80% लोगों ने बताया कि इस दौरान पानी की कमी बार-बार होती है और कई बार उन्हें पानी के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है. यह स्थिति न केवल दिल्ली की है बल्कि देश के कई हिस्सों में पानी का संकट गहराता जा रहा है. नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 60 करोड़ भारतीय पानी की कमी से जूझ सकते हैं. ऐसे में, सरकार और समाज को मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे. इसे भी पढ़ें- अगर राहुल गांधी ने नहीं दिया एफिडेविट तो क्या कार्रवाई कर सकता है चुनाव आयोग, जानें उसकी शक्तियां