SIR Pan India: बिहार में पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद चुनाव आयोग अब 12 राज्यों में एसआईआर का दूसरा चरण शुरू करने जा रहा है. आपको बता दें कि बिहार में 69 लाख से ज्यादा नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब यह प्रक्रिया की जा रही है. आइए जानते हैं कि इससे पहले यह प्रक्रिया कब की जा चुकी है. उससे पहले जानते हैं इस प्रक्रिया के पीछे का उद्देश्य.
एसआईआर के पीछे का उद्देश्य
विशेष गहन पुनरीक्षण कोई नियमित मतदाता सूची अपडेट नहीं है. इस प्रक्रिया में घर-घर जाकर सत्यापन किया जाता है जिसका उद्देश्य मतदाता सूची में सटीकता बनाए रखना है. यह प्रक्रिया इस बात को सुनिश्चित करती है कि हर पात्र नागरिक को शामिल किया जाए जबकि डुप्लीकेट या फिर अपात्र व्यक्तियों को हटा दिया जाए.
पहला विशेष गहन पुनरीक्षण
पहला आधिकारिक एसआईआर 2002 और 2004 के बीच हुआ था. यह चुनाव आयोग के लिए एक बड़ा ऐतिहासिक क्षण था. इसका उद्देश्य पुरानी और गलत हो चुकी मतदाता सूचियां को साफ करना था. बिहार में आखिरी बड़ा पुनरीक्षण 2003 में हुआ था.
शुरुआती दौर
भारत की स्वतंत्रता के तुरंत बाद चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियां में व्यापक गलतियों को ठीक करने के लिए कई संशोधन किए. उस समय सीमित तकनीक और जन जागरूकता की वजह से गलतियां काफी ज्यादा होती थी. इन शुरुआती संशोधनों ने 1952 में देश के पहले आम चुनाव से पहले चुनावी प्रक्रिया को स्थिर किया था.
1980 के दशक में हुआ था संशोधन
इसी के साथ 1980 के दशक तक मतदाता सूची में अवैध एंट्री और विदेशी नागरिकों जैसे मुद्दे चिंता का विषय बन चुके थे. चुनाव आयोग ने नए दिशा निर्देशों को जारी किया और साथ ही अयोग्य नामों को हटाना शुरू किया. यह वही दौर था जब मतदाता पंजीकरण के समय नागरिकता सत्यापित करने की इस पहल को पहली बार प्रमुखता मिली थी.
1990 के दशक के संशोधन
इसी के साथ 1990 के दशक में चुनाव आयोग ने ज्यादा संक्षिप्त संशोधन, छोटे और नियमित अपडेट की तरफ रुख किया. लेकिन जब बड़े पैमाने पर गलतियां पाई गई तो गहन संशोधनों की तरफ वापस लौटे. हालांकि इन संशोधन में हमेशा नागरिकता के प्रमाण की जरूरत नहीं होती थी लेकिन निवास और पहचान के सत्यापन पर ध्यान केंद्रित किया जाता था.
विशेष गहन संशोधन
यह चरण जिसे सबसे व्यापक में से एक माना जाता है लगभग सभी राज्यों को कवर करता था. दिल्ली में 2008 में हुए और उत्तराखंड में 2006 में हुए संशोधन के साथ कई राज्यों ने इसी मॉडल के आधार पर अपने अंतिम पूर्ण संशोधन को जारी रखे. इस संशोधन में धोखाधड़ी वाली प्रविष्टियों को पहचान के लिए कड़ी जांच शुरू की गई थी.
2025 का विशेष गहन संशोधन
अब लगभग दो दशकों के बाद चुनाव आयोग ने 2025 में बिहार से शुरुआत करते हुए एक और बाद संशोधन शुरू किया है. संशोधन में 69 लाख मतदाताओं को मतदाता सूची से हटा दिया गया है और अब राज्य में मतदाताओं की संख्या 7.43 करोड़ रह गई है. अब चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को 12 और राज्यों में विस्तारित करने की घोषणा कर दी है.
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