Elections 2024: भारत में इन दिनों 18वीं लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं. चुनावों के दो चरण पूरे हो चुके हैं. कुल सात चरणों में यह चुनाव होने है. अभी भी देश में नामांकन के दौर जारी हैं. पार्टियां प्रत्याशियों के नाम घोषित कर रही हैं. तो वहीं इस दौरान खबर आई है कि जेल में बंद खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल भी चुनाव लड़ने का मन बना रहा है.
साल 2023 अप्रैल से असम की जेल में बंद अमृतपाल के माता-पिता ने इस बात की घोषणा की है कि अमृतपाल पंजाब की खडूर साहिब लोक सभा सीट से चुनाव लड़ेगा. क्या वाकई यह मुमकिन है कि अमृतपाल जेल में बंद रहकर भी लड़ सकता है चुनाव. जानिए जेल से चुनाव लड़ने के लिए क्या कहता है कानून.
जेल से चुनाव लड़ सकता है अमृतपाल?
अगर सीधे शब्दों में इसका उत्तर दिया जाए तो हां है. अगर अमृतपाल चाहे तो जेल से चुनाव लड़ सकता है. भारत के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत वह लोग जिन्हें अपराधी घोषित कर दिया गया हो और 2 साल या उससे अधिक साल की सजा दी गई हो.
वह लोग सांसद और राज्य विधान मंडलों के सदस्य बनने के लिए अयोग्य होते हैं. अधिनियम की धारा 8(3) के तहत दोष साबित होने वाले अपराधी सजा मिलने की तारीख के बाद से 2 साल तक अयोग्य रहते है. और रिहाई के बाद भी 6 साल तक वह चुनाव नहीं लड़ सकते.
लेकिन यह सिर्फ उन्हीं अपराधियों के लिए है. जिन पर दोष साबित हो गया है और उन्हें सजा दी जा चुकी है. अमृतपाल का मामला अभी कोर्ट में चल रहा है विचाराधीन है. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत विचाराधीन कैदी चुनाव लड़ सकते हैं. इसलिए अमृतपाल भी चुनाव लड़ सकता है.
जेल से बैठे ही भर सकता है नामांकन
सामान्य तौर पर कोई उम्मीदवार जो चुनाव लड़ता है. वह अपना नामांकन लेकर अपने प्रस्तावकों के साथ रिटर्निंग ऑफिसर के पास जाता है और नामांकन जमा करता है. लेकिन नामांकन दाखिल करते वक्त उम्मीदवार का जाना जरूरी नहीं होता.
प्रस्तावक जो संबंधित निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता हो वो उम्मीदवार का नामांकन पूरा भर के रिटर्निंग ऑफिसर को दे सकता है. राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तरीय पार्टियों के उम्मीदवारों के लिए एक प्रस्तावक की जरूरत होती है. तो वहीं अगर कोई निर्दलीय चुनाव लड़ता है. तो उसके लिए 10 प्रस्तावकों का होना जरूरी होता है.
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