Indian Embassy Security: कनाडा में खालिस्तान समर्थक एक्टिविस्ट कथित तौर पर वैंकूवर में भारत के वाणिज्य दूतावास को निशाना बना रहे हैं. सिख फॉर जस्टिस ने भारत के वाणिज्य दूतावास पर कब्जा करने की धमकी दी है और साथ ही भारतीयों को उस इलाके में जाने से मना भी किया है. हालांकि अभी तक कनाडा सरकार और भारत सरकार ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.
हालांकि, इस घटना से यह सवाल जरूर खड़ा होता है कि किसी भी देश के दूतावास और वाणिज्य दूतावास विदेशी देशों में कितने सुरक्षित हैं. आइए जानते हैं कि कैसे होती है किसी देश की एंबेसी की सुरक्षा.
दूतावास सुरक्षा कैसे काम करती है?
दरअसल, एंबेसी की सुरक्षा एक दोहरी सुरक्षा प्रणाली के जरिए की जाती है. इसमें मेजबान देश और भेजने वाला देश दोनों ही शामिल होते हैं. दोनों देशों की भूमिका सुरक्षा के लिए काफी ज्यादा अहम होती है.
मेजबान देश की भूमिका
मेजबान देश बाहरी सुरक्षा को संभालता है. इसके लिए स्थानीय पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र बल एंबेसी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदारी लेते हैं. यह जिम्मेदारी अशांति वाली जगहों के लिए और ज्यादा बढ़ जाती है. मेजबान देश की लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी सुरक्षा को बनाए रखने के लिए और किसी भी खतरे को रोकने के लिए दूतावास के सुरक्षा अधिकारियों के साथ मिलकर काम करती है.
भेजने वाले देश की भूमिका
इसी के साथ जिस देश की एंबेसी होती है वह अपनी आंतरिक सुरक्षा टीम को तैनात करती है. इसमें सुरक्षाकर्मी शामिल होते हैं जो एंबेसी के अंदर जरूरी दस्तावेजों, उपकरणों और लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखते हैं. इसी के साथ में एंबेसी में आने वाले सभी लोगों की जांच के लिए एडवांस्ड सर्विलेंस सिस्टम, मेटल डिटेक्टर और एक्स-रे मशीन का इस्तेमाल करते हैं. इन नियमित सुरक्षा जांच के अलावा एंबेसी का रीजनल सिक्योरिटी ऑफिसर सुरक्षा खतरों का पता लगाने और उनसे निपटने के लिए प्रशिक्षित होता है.
आपात स्थिति के लिए तैयारी और अतिरिक्त उपाय
आपातकालीन स्थितियों में जब मेजबान देश पूरी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे पाते हैं तो एंबेसी अतिरिक्त और अस्थाई सुरक्षा उपाय लागू करने का अधिकार रखती है. इसके लिए सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ा दी जाती है, बैरियर्स लगा दिए जाते हैं और साथ ही लोगों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी जाती है.
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