केरल में शनिवार यानि 24 मई को मानसून की दस्तक हो गई है. खबर है कि इस बार मानसून तय वक्त से आठ दिन पहले ही केरल पहुंच चुका है. अब जुलाई तक मानसून पूरे देश में पहुंच जाएगा. आमतौर पर उत्तर भारत में मानसून 20-25 जून तक पहुंचता है, लेकिन इस बार सभी राज्यों में जल्दी पहुंचने की संभावना है. दरअसल यह एक मौसमी प्रणाली है जो कि साल के विशेष समय पर अपनी दिशा बदलती रहती है. भारत में आने वाला मानसून मुख्य रूप से दक्षिण-पश्चिम से आता है और यह अरब सागर व बंगाल की खाड़ी से नमी लेते हुए पूरे देश में बारिश कराता है. मानसून सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया, साउथ एशिया और अफ्रीका में भी आता है.
चलिए जानें कि भारत के किन राज्यों में मानसून सबसे पहले आता है और इसके जल्दी व देर से आने के आखिर क्या कारण होते हैं.
कैसे होती है मानसून की शुरुआत
मानसून का जादू दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के जरिए शुरू होता है. इनको ही मानसूनी हवाएं कहा जाता है, जो कि हिंद महासागर से भारत की ओर बढ़ती हैं. ये हवाएं अपने साथ भारी बादल और नमी लेकर आती हैं, जो कि पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक वर्षा कराते हैं. इन हवाओं में इतनी ताकत होती है कि इनके जरिए ही पूरे उपमहाद्वीप में बारिश का पैटर्न तय होता है. मानसूनी हवाओं की चाल और ताकत इस बात पर निर्भर करती है कि समुद्र की सतह कितनी गर्म है और हवा का रुख कैसा है. गर्मियों में जब भारतीय उपमहाद्वीप की भूमि अत्यधिक गर्म हो जाती है, तब वहां पर निम्न वायुदाब बनता है. वहीं हिंद महासागर ठंडा रहता है, जिसे वहां पर निम्न वायुदाब बनता है. इसी के जरिए समुद्र से धरती की ओर हवाएं आती हैं, जो कि अपने साथ बारिश लेकर आती हैं और यहां बारिश कराती हैं. इसे ही मानसून कहा जाता है.
किन राज्यों में सबसे पहले होती है मानसून की दस्तक
भारत में मानसून दो धाराओं में आता है. सबसे पहली होती है अरब सागर की शाखा जो कि पश्चिमी तट यानि केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात होते हुए उत्तर भारत की तरफ बढ़ती है. इसके बाद बंगाल की खाड़ी शाखा होती है जो कि पूर्वी भारत यानि पश्चिम बंगाल, झारखंड, उड़ीसा, बिहार और पूर्वोत्तर के राज्यों में भारी बारिश कराता है. इसके बाद यह उत्तर में हिमालय से टकराकर वापस लौट जाता है. इस तरह सबसे पहले मानसून केरल, फिर कर्नाटक और महाराष्ट्र की ओर बढ़ता है. दक्षिण-पश्चिम मानसून आमतौर पर केरल में 1 जून को आता है, लेकिन यह यहां करीब आठ दिन पहले ही आ गया, जिससे मुंबई समेत अन्य राज्यों में बारिश शुरू हो चुकी है.
मानसून के जल्दी और देर से आने की वजह
इस बार मानसून के जल्दी पहुंचने की वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी को बताया जा रहा है. दरअसल इस बार समुद्री तापमान सामान्य से ज्यादा रहा है, इसीलिए मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हुई हैं और पश्चिमी हवाओं, चक्रवातों ने भी मानसून को आगे बढ़ाने में मदद की है. इस बार मानसून अंडमान सागर और आसपास के क्षेत्रों में समय से पहले यानि 13 मई को ही पहुंच गया था, जबकि इसके पहुंचने की तारीख 21 मई थी. वहीं जब समुद्र की सहत पर चक्रवात बनते हैं, जिससे सतह गर्म हो जाती है और भूमि वा समुद्र के बीच का तापमान कम हो जाता है. यही वजह है कि कभी-कभी मानसून देर से आता है.
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