भारत में जमीन की माप हमेशा से एक दिलचस्प विषय रहा है. गांव-देहात में आज भी लोग बीघा, कट्ठा, धुर, मंडी और हिस्सा जैसी स्थानीय इकाइयों में जमीन का हिसाब-किताब रखते हैं. लेकिन ज्यादातर लोगों को यह ठीक-ठीक पता नहीं होता है कि आखिर एक कट्ठा या मंडी में कितनी जमीन होती है. दरअसल, इन इकाइयों का मान हर राज्य में अलग-अलग होता है. यही वजह है कि एक जगह का एक कट्ठा, दूसरी जगह के एक कट्ठे से बड़ा या छोटा हो सकता है. आइए जानते हैं कि कट्ठा, हिस्सा और मंडी जैसे शब्दों का असल मतलब क्या है और ये जमीन मापने में कैसे काम आते हैं.
कट्ठा में कितनी जमीन
सबसे पहले बात करते हैं कट्ठा की. यह भारत, नेपाल और बांग्लादेश के कई हिस्सों में जमीन की पारंपरिक माप की इकाई है. लेकिन हर प्रदेश में इसका माप अलग-अलग होता है. उदाहरण के तौर पर देखें तो बिहार में एक कट्ठा लगभग 1,361.25 स्क्वायर फुट का माना जाता है, जबकि असम में इसका आकार लगभग 2,880 वर्ग फुट होता है. वहीं, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में एक कट्ठा सिर्फ 720 स्क्वायर फुट के बराबर होता है. यानी अगर किसी के पास असम में 1 कट्ठा जमीन है, तो वह बिहार के लगभग 2 कट्ठों के बराबर हो सकती है.
एक बीघा में कितने कट्ठा
अब जानते हैं कि एक बीघा में कितने कट्ठे होते हैं. सामान्य तौर पर 20 कट्ठे मिलकर 1 बीघा बनाते हैं. हालांकि यह नियम भी हर राज्य में समान नहीं है. बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में प्रायः यही माप अपनाई जाती है. यानी अगर किसी के पास 1 बीघा जमीन है, तो उसमें लगभग 20 कट्ठे होंगे.
मंडी में कितनी जमीन
अब बात करते हैं मंडी की. मंडी शब्द ज्यादातर बाजारों से जुड़ा हुआ लगता है, लेकिन कई जगहों पर इसे जमीन मापने की इकाई के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. सामान्य तौर पर 1 एकड़ में 80 मंडी मानी जाती हैं. इसका मतलब अगर आपके पास 1 एकड़ जमीन है, तो वह 80 मंडी के बराबर होगी. इसी तरह अगर किसी के पास 4 एकड़ जमीन है, तो वह 320 मंडी के बराबर होगी. वहीं, अगर आप मंडी को एकड़ में बदलना चाहें, तो मंडी की संख्या को 80 से डिवाइड कर देना होता है. यानी 160 मंडी बराबर 2 एकड़ जमीन.
हिस्सा का क्या है अर्थ
अब आता है हिस्सा. हिस्सा जमीन की कोई माप इकाई नहीं होती, बल्कि यह किसी संपत्ति या जमीन के बंटवारे को दर्शाता है. यह हिस्सा आकार में बराबर भी हो सकता है और जरूरत या समझौते के हिसाब से अलग-अलग भी होता है. कुल मिलाकर देखा जाए तो कट्ठा, हिस्सा और मंडी भारतीय ग्रामीण व्यवस्था की जमीन से जुड़ी अहम इकाइयां हैं. गांवों में अब भी लोग यही पारंपरिक इकाइयां बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं.
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