प्रशांत किशोर इस बार बिहार में पूरी ताकत के साथ उतरे हैं, लेकिन राजनीतिक रणनीति के बीच एक खबर ने हलचल मचा दी. उनकी नाम-एंट्री दोनों-बार बिहार और पश्चिम बंगाल दोनों ही वोटर-लिस्ट में दर्ज मिली. यह सुनते ही सियासी गलियारों में खलबली मच गई. चुनाव मैदान में अब सिर्फ पोस्टर और रैलियां ही नहीं, वोटर-लिस्ट की सफाई भी भारी हथियार बन चुकी है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि यह गलती है या जानबूझकर किया गया फर्जीवाड़ा? और अगर गलत हुआ तो कितनी सजा हो सकती है, चलिए जानें.
अपराध है दो वोटर कार्ड रखना
भारत में 18 साल से ऊपर के हर मतदाता का अपना एक-एक EPIC (voter-ID) होना अनिवार्य है. चुनावी नियम और निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी नागरिक का नाम एक से अधिक विधानसभा क्षेत्र अथवा एक से अधिक राज्य की मतदाता-सूची में नहीं होना चाहिए. अगर कोई जानबूझकर अपनी मौजूदगी छिपाकर किसी दूसरे स्थान पर नया नाम दर्ज कराए, तो यह अपराध माना जाता है और सजा का प्रावधान भी है.
कानून क्या कहता है?
Representation of the People Act, 1950 और उससे जुड़े कानून-प्रावधानों के तहत मतदाता का दोहरी पंजीकरण गंभीर मामला है. नियमों के मुताबिक जानबूझकर पुराने पंजीकरण को छिपाना और नए पंजीकरण के लिए आवेदन करना दंडनीय है, इसमें कानून के अनुसार जुर्माना और/या जेल की सजा का प्रावधान है; कुछ प्रावधानों में एक वर्ष तक की कैद का जिक्र भी मिलता है. अदालतों और चुनाव आयोग के निर्देशों के आधार पर जहां गलती या अनजाने में हुई तो वहां डुप्लिकेट एंट्री को सुधारने की गुंजाइश है, वहीं जानबूझकर किए जाने पर कड़ी कार्रवाई संभव है.
कैसे कर सकते हैं सुधार?
लेकिन हर मामले में सजा स्वतः तय नहीं मानी जाती है. चुनाव अधिकारियों का रुख अक्सर संदर्भ और इरादे के आधार पर अलग-अलग होता है. क्या उस व्यक्ति ने सचमुच दो जगहों पर वैध रूप से रहते हुए दूसरी जगह रजिस्टर किया था, क्या पहले वाले रजिस्ट्रेशन को रद्द कराना भूल गया था, या तथ्य छिपाकर नया आवेदन किया गया, इन सभी सवालों के जवाब जांच के बाद तय होता है. निर्वाचन आयोग ने बार-बार कहा है कि जो लोग गलती से दो कार्ड बनवा चुके हैं, उन्हें फॉर्म भरकर अपना रिकॉर्ड ठीक करवाना चाहिए और पुराना वोटर-कार्ड रद्ध कराना चाहिए. प्रमुख चरण में Form 7 या Form 8 जैसे फॉर्म के जरिए मतदाता अपना रिकॉर्ड सुधारवा सकता है.
क्या प्रशांत किशोर के मामले में हो सकती है कार्रवाई?
प्रशांत किशोर के मामले में उनकी टीम ने बताया कि बंगाल वाला कार्ड रद्द कराने के लिए आवेदन किया गया है. यानी फिलहाल यह मामला सुधार-प्रक्रिया की दिशा में भी है, पर इसके बावजूद जांच और औपचारिक दायराओं की आवश्यकता बनेगी. अगर मामला सचमुच जानबूझकर दर्ज कराया गया पाया गया, तो Representation of the People Act और संबंधित धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई हो सकती है.
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