पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को आतंकियों ने 26 मासूम पर्यटकों को अपना निशाना बनाया था. इस घटना को हुए एक महीने का समय बीत गया है. दुनियाभर में इस घटना की निंदा हुई है. इस हमले के बाद से अभी भी देशभर में लोगों में गुस्से का माहौल है. इस घटना के जख्म अभी भरे नहीं हैं और शायद कभी भर भी नहीं पाएंगे. लेकिन इसके बीच चर्चा में आए पहलगाम की एक अलग कहानी है. यह वही पहलगाम है, जहां से बाबा बर्फानी की अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है. चलिए आज आपको पहलगाम से अमरनाथ यात्रा का रूट बताते हैं और यहां पर किस प्वाइंट से अमरनाथ यात्रा शुरू होती है, जो कि हमले वाली जगह से कितनी दूर है. 

कब से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा

इस बार अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है. हर साल सावन के महीने में शुरू होने वाली इस यात्रा का समापन पूर्णिमा तिथि पर हो जाता है. भगवान शिव के बर्फ से ढके पवित्र शिवलिंग के दर्शन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है. इसके लिए श्रद्धालु ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से रजिस्ट्रेशन कराते हैं. 3 जुलाई से शुरू हो रही यह यात्रा 9 अगस्त को समाप्त होगी. बाबा बर्फानी की पवित्र अमरनाथ गुफा समुद्र तल से करीब 13000 फीट ऊपर स्थित है. 

हमले वाली जगह से कितनी दूर है अमरनाथ यात्रा स्टार्टिंग प्वाइंट

इस गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं. पहला रास्ता साउथ कश्मीर के गांदरबल जिले के बालटाल से शुरू होता है. वहीं एक दूसरा रास्ता है जो कि अनंतनाग जिले के पहलगाम से शुरू होता है, जहां पर आतंकी हमला हुआ. पहलगाम में जिस जगह पर आतंकियों ने लोगों को अपना शिकार बनाया है, उस घाटी का नाम है बैसरन. यहां से 7-8 किलोमीटर दूर नुनवान बेस कैंप पड़ता है, जहां से अमरनाथ यात्रा शुरू होती है. पहलगाम से अमरनाथ यात्रा का पूरा रास्ता 47.3 से लगभग 48 किलोमीटर है. पहलगाम से शुरू होकर 16 किलोमीटर दूर पहले चंदनवाड़ी पड़ता है, जो कि इसका पहला पड़ाव है. यहीं से आगे की यात्रा शुरू होती है. 

अमरनाथ यात्रा रूट

चंदनवाड़ी के बाद पिस्सू टॉप, जोजी बल, नाग कोटी, शेषनाग, वारबल, महागुनस टॉप, पाबीबल, पंचतरणी और अंत में संगम पड़ाव आता है. संगम से अमरनाथ गुफा की दूरी सिर्फ तीन किलोमीटर रह जाती है. यात्रा करने वाले श्रद्धालु यहां से जगह-जगह पर आराम करते हुए अमरनाथ की गुफा तक पहुंचते हैं. इस यात्रा को पूरा करने के लिए 3-5 दिन लगते हैं. वहीं दूसरा रूट गांदरबल जिले के बालटाल से शुरू होता है. बालटाल के बाद डोमाली, बरारी और फिर संगम आता है. ये रास्ता सिर्फ 14 किलोमीटर का है. इसमें तीन पड़ाव ही होते हैं. 

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