Jacobin Cuckoo: पशु-पक्षियों, जानवरों और इंसानों के लिए पानी जीवन का आधार होता है. अगर आप पानी न पिएं तो 1, 2 दिन में आपकी हालत खराब हो जाए, तीन या चार दिन में आप बीमार पड़ने लगेंगे और करीब 1 हफ्ते बाद तो मौत भी हो सकती है. जिंदा रहने के लिए पानी बहुत जरूरी है. लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया में एक ऐसा प्राणी भी है, जो साल में सिर्फ एक बार ही पानी पीता है और वो भी एक खास मौके पर? उसके बाद यह प्राणी पानी की एक बूंद भी मुंह में नहीं लेता.


कौन-सा है ये पक्षी?


जैकोबिन कोयल (Jacobin Cuckoo) यानी चातक एक ऐसा पक्षी है जो सिर्फ और सिर्फ बरसात का ही पानी पीता है. इसे पपीहा भी कहा जाता है. भारतीय साहित्य में इसके बारे में लिखा है कि यह बारिश की पहली बूंद को पीता है. अगर चातक पक्षी को साफ पानी की झील में भी डाल दें, तो यह अपनी चोंच बंद कर लेगा और पानी नहीं पियेगा.


भारत में पाई जाती हैं 2 प्रजाति


भारत में चातक की 2 आबादी पाई जाती हैं. इनमें से एक दक्षिणी इलाकों में रहती है और दूसरी मॉनसूनी हवाओं के साथ अरब सागर को पार करते हुए अफ्रीका से उत्तर और मध्य भारत की ओर रुख करती हुई जाती है.


कीड़े और फल खाता है


चातक पक्षी का वैज्ञानिक नाम क्लैमेटर जैकोबिनस (Clamator Jacobinus) है. क्लैमेटर का हिंदी में अर्थ होता है चिल्लाना यानी एक ऐसा पक्षी जो काफी मुखर हो. मुख्य रूप से चातक पक्षी कीट खाते हैं, टिड्डे-भृंगे आदि भी इनके भोजन में शामिल होते हैं. हालांकि, कई बार इन्हें फल और जामुन खाते हुए भी देखा गया है.


दूसरे पक्षियों के घोसले में देता है अंडे


इस पक्षी से जुड़ी एक अनोखी बात यह है कि ये अपने अंडे दूसरे पक्षियों के घोंसले में देता है. दरअसल, चातक अपने मेजबान के तौर पर बब्बलर और बुलबुल जैसे आकार के पक्षियों को देखता है. ऐसे में चातक अपने रंगीन अंडे उनके घोंसलों में रख देते हैं.


मानसून आने का देता है संकेत


मानसून आने से पहले चातक पक्षी उत्तरी भारत के हिस्सों में पहले ही पहुंच जाता है. यानी जिस जगह मानसून आने वाला होता है, चातक पक्षी उस जगह पर पहले ही पहुंच जाता है. 


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