इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम को लेकर जारी खींचतान के बीच हालात एक बार फिर बिगड़ गए हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक इजरायली सेना ने गाजा में नई सैन्य कार्रवाई की है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यह हमला उस वक्त हुआ जब अमेरिका ने हमास पर गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ हिंसक साजिश रचने का आरोप लगाया था. बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है और युद्धविराम की उम्मीदें अब कमजोर होती दिख रही हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या हमास इसकी शिकायत नहीं कर सकता है? आखिर इसके लिए क्या कानून है.

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गाजा पर फिर गिरे बम

इजराइल और हमास के बीच संघर्ष एक बार फिर उफान पर है. ताजा रिपोर्टों के अनुसार, इजराइली वायुसेना ने गाजा पर कई स्थानों पर बमबारी की है, जिसमें कई इमारतें और ठिकाने तबाह हो गए हैं. इजराइल का कहना है कि उसने यह कार्रवाई हमास के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए की गई है, जबकि फिलिस्तीनी पक्ष का आरोप है कि इन हमलों में आम नागरिकों को निशाना बनाया गया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या हमास या फिलिस्तीन इस बमबारी की शिकायत किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर कर सकता है?

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अंतरराष्ट्रीय कानून क्या कहता है

संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार, किसी भी देश द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई को तभी जायज माना जाती है जब वह आत्मरक्षा में की गई हो या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अनुमति से की गई हो. यदि कोई देश बिना मंजूरी के किसी दूसरे क्षेत्र पर हमला करता है, तो यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन होता है. 

हमास एक आतंकी संगठन

हालांकि, यहां एक पेच है कि हमास को संयुक्त राष्ट्र मान्यता प्राप्त सरकार नहीं मानता, बल्कि कई देश, जिनमें अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं, उसे एक आतंकवादी संगठन के रूप में मानते हैं. इस वजह से हमास सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय International Court of Justice या अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय International Criminal Court में शिकायत दर्ज नहीं कर सकता है.

फिलिस्तीन की भूमिका

फिलिस्तीन जिसे आंशिक रूप से संयुक्त राष्ट्र में मान्यता प्राप्त है, वह ICC का सदस्य है. इसलिए फिलिस्तीन की अथॉरिटी की ओर से इस तरह के हमलों पर जांच की मांग की जा सकती है. दरअसल पहले भी 2021 में ICC ने गाजा और वेस्ट बैंक में हुए हमलों की जांच शुरू की थी, जिसमें दोनों पक्षों के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध के आरोपों की समीक्षा की गई थी. 

क्या हो सकता है नतीजा?

अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में इस तरह की जांचों में सालों लग जाते हैं और इनके नतीजे अक्सर राजनीतिक दबावों से प्रभावित होते हैं. इजराइल, जो ICC का सदस्य नहीं है, ऐसे किसी भी जांच आदेश को मान्यता नहीं देता है. इसलिए व्यावहारिक रूप से हमास या फिलिस्तीन के पास बहुत सीमित विकल्प हैं.

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