महंगाई, वैश्विक अनिश्चितता और बदलती अर्थव्यवस्था के दौर में आम निवेशक के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि सीमित पूंजी को कहां लगाया जाए. तीन लाख रुपये की रकम सुनने में छोटी लग सकती है, लेकिन सही फैसले से यही राशि भविष्य में बड़ा सहारा बन सकती है. भारत में पारंपरिक रूप से सोना सबसे भरोसेमंद विकल्प माना गया है, जबकि हाल के वर्षों में चांदी ने तेज रफ्तार से निवेशकों का ध्यान खींचा है. 2050 तक की तस्वीर क्या कहती है, यही जानना जरूरी है.
सोना या चांदी, फैसला क्यों उलझा हुआ है
जब निवेश की बात आती है तो सोना हमेशा सुरक्षित बंदरगाह की तरह देखा जाता है. बाजार गिरता है, मुद्रा कमजोर होती है या दुनिया में संकट बढ़ता है, तो निवेशक सबसे पहले सोने की ओर भागते हैं. यही वजह है कि सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव अपेक्षाकृत सीमित रहता है. दूसरी तरफ चांदी का स्वभाव अलग है. यह सिर्फ कीमती धातु नहीं, बल्कि एक औद्योगिक धातु भी है, जिसकी कीमतें मांग और तकनीक के साथ तेजी से बदलती हैं. यही अंतर निवेशक को असमंजस में डालता है.
तीन लाख रुपये में सोना क्या देता है
अगर कोई निवेशक तीन लाख रुपये सोने में लगाता है तो उसे सबसे पहले स्थिरता मिलती है. सोना आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है, यानी इसकी तरलता बहुत ज्यादा है. लंबे समय में सोना महंगाई को मात देने में सक्षम रहा है. भले ही यह अचानक बड़ा रिटर्न न दे, लेकिन पूंजी की सुरक्षा इसका सबसे बड़ा फायदा है. यही कारण है कि जोखिम से बचने वाले निवेशक आज भी सोने को पहली पसंद मानते हैं.
चांदी क्यों बन रही है भविष्य की धातु
चांदी का आकर्षण उसकी तेजी में छिपा है. इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल, ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में चांदी की मांग लगातार बढ़ रही है. यही वजह है कि हाल के वर्षों में चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिला है. हालांकि इसकी कीमतें ज्यादा अस्थिर रहती हैं, लेकिन जोखिम लेने वालों के लिए यही अस्थिरता बड़ा मौका भी बन सकती है. तीन लाख रुपये में चांदी खरीदने वाला निवेशक मात्रा के लिहाज से भी ज्यादा धातु अपने पास रख पाता है.
2050 की तस्वीर क्या इशारा करती है
2050 तक की कीमतों का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन विशेषज्ञों के आकलन कुछ संकेत जरूर देते हैं. माना जा रहा है कि महंगाई, वैश्विक कर्ज और सीमित आपूर्ति के चलते सोने की कीमतें लंबी अवधि में कई गुना बढ़ सकती हैं. कुछ अनुमानों में यह भी कहा जा रहा है कि सोना प्रति 10 ग्राम कई लाख रुपये के स्तर तक पहुंच सकता है. वहीं चांदी की कहानी और भी रोचक है. औद्योगिक मांग अगर इसी रफ्तार से बढ़ती रही, तो चांदी की कीमतें सोने की तुलना में तेजी से ऊपर जा सकती हैं और प्रति किलो इसके दाम मौजूदा स्तर से कई गुना हो सकते हैं.
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