ईरान और इजरायल के बीच जंग का दायरा बढ़ता जा रहा है. इजरायल के हमलों के बाद ईरान ने भी पलटवार किया है, जिसके बाद अमेरिका ने उस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. हालांकि, ईरान ने जंग में पीछे हटने से इनकार करते हुए इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से कई हमले किए हैं, जिससे तेल अवीव व हाइफा जैसे शहरों को बड़ा नुकसान पहुंचा है.
मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ती जंग में अमेरिका ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है. अगर ईरान के हमले बढ़ते हैं तो अमेरिका ने खुलकर इजरायल की मदद के संकेत दिए हैं. हालांकि, ईरान इस जंग में अलग-थलग नजर आ रहा है. दरअसल, रूस और चीन जैसे मुख्य सहयोगी भी खुलकर उसके साथ नहीं दिखाई दे रहे हैं. चलिए जानते हैं कि रूस और चीन जैसे देशों से ईरान की दोस्ती कैसी है और जंग में ये देश ईरान का साथ देंगे या नहीं?
कैसी है रूस और चीन से ईरान की दोस्ती
पहले बात रूस की करें तो ईरान उसका बड़ा रणनीतिक सहयोगी है. सीरिया में बशर-अल-असद सरकार का तख्तापलट के बाद पश्चिम एशिया में रूस की मौजूदगी सीमित हो गई है, केवल ईरान ही है जिसके कारण रूस पश्चिम एशिया में टिका हुआ है. ऐसे में ईरान उसके लिए काफी जरूरी है. वहीं अगर चीन की बात करें तो ईरान उसका आर्थिक व सैन्य सहयोगी है. चीन ईरान को कई चीजों की सप्लाई करता है, जिसमें बैलिस्टिक मिसाइलों का सामान से लेकर हथियारों की टेक्नोलॉजी तक शामिल है.
क्या रूस और चीन देंगे ईरान का साथ
ईरान और इजरायल के बीच छिड़ी जंग में अभी तक रूस और चीन का रुख बहुत ही सीमित रहा है और दोनों देशों ने खुलकर ईरान का साथ देने के संकेत नहीं दिए हैं. इस जंग में ईरान को सैन्य सहयोगी की जरूरत है, लेकिन चीन और रूस जैसे देश अभी तक बयानबाजी तक ही सीमित हैं. दरअसल, रूस पहले से ही यूक्रेन के साथ जंग में उलझा हुआ है और उसे खुद हथियारों की जरूरत है. ऐसे में वह खुलकर ईरान का साथ देने से कतरा रहा है. वहीं, चीन ने भले ही ईरान पर इजरायली हमलों का विरोध किया हो, लेकिन उसने भी बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की है.
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