ईरान और इजराइल के युद्ध पर आखिरकार विराम लग गया है. इसका असर बुलियन मार्केट पर भी दिखने लगा है. लेकिन शेयर मार्केट में रौनक आते ही सर्राफा बाजार में सोने-चांदी के दामों में गिरावट देखने को मिल रही है. आज यानि बुधवार को 24 कैरेट सोने के दाम में 112 रुपये प्रति ग्राम सस्ता होकर 97151 रुपये पर आया. जबकि चांदी के दाम 317 रुपये से गिरकर 1,05,650 रुपये प्रति किलो पर चल रही है. लेकिन ऐसा तब देखने को मिला है, जब ईरान और इजराइल का युद्ध रुक गया है. चलिए जानें कि ये युद्ध और सोने का क्या कनेक्शन है.
युद्ध में क्यों चमकता है सोना
जानकारों की मानें तो युद्ध के वक्त सोना इंश्योरेंस का काम करता है. ऐसी परिस्थिति में कंपनियां, लोग और सरकारें अपने पोर्टफोलियों में सोने को हेज के रूप में रखती हैं. इससे पहले रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष की वजह से भी जियोपॉलिटिकल तनाव देखने को मिल सकता है. इस वजह से कहीं न कहीं ग्लोबल सप्लाई चेन पर भी असर पड़ता है और वित्ती बाजार प्रभावित होते हैं. ऐसी स्थिति में लोग सोने में निवेश करते हैं. इन्वेस्टर्स सॉवरेन बैक्ड गोल्ड सिक्योरिटी की बजाय फिजिकल गोल्ड में निवेश करना पसंद करते हैं.
वॉर और गोल्ड का कनेक्शन
जंग के दौरान महंगाई आती है और महंगाई की वजह से करेंसीज की परचेसिंग पावर कम हो जाती है. इससे फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट का आकर्षण खत्म हो जाता है. लेकिन सोने के साथ ऐसा नहीं होता है. सोने की चमक महंगाई के दौर में भी बनी रहती है, बल्कि आर्थिक संकट के दौरान तो इसकी चमक और बढ़ जाती है. सोने की बढ़ी हुई कीमतें कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसे कि करेंसी की वैल्यू, ग्लोबल डिमांड और इंटरेस्ट रेट. दरअसल इस दौरान इन्वेस्टर्स जोखिम भरे एसेट्स से दूर रहकर सोने में पैसा लगाते हैं, इसलिए सोना मजबूत होता है.
TINA फैक्टर क्या है?
युद्ध के दौरान टीना फैक्टर काम करता है. TINA मतलब There Is No Alternative दूसरा कोई ऑप्शन नहीं. जब दुनिया में युद्ध की वजह से अस्थिरता बढ़ती है तो सोने में पैसा लगाना सबसे सुरक्षित माना जाता है. इसी वजह से सोने की मांग और बिक्री बढ़ती है. जब हाल ही में युद्ध की परिस्थिति चल रही थी, उस वक्त भी इसका असर देखने को मिल रहा था.
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