IPL 2026: आईपीएल 2026 की मिनी नीलामी से पहले सभी 10 फ्रेंचाइजी यह तय करने में लगी हैं कि किन खिलाड़ियों को रिटेन किया जाएगा या फिर कौन से खिलाड़ी रिलीज किए जाएंगे. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने टीमों के लिए अपनी रिटेंशन सूची को जमा करने की आखिरी तारीख 15 नवंबर 2025 तय की है. इसी बीच आइए जानते हैं कि रिटेंशन कैसे काम करता है और क्या आईपीएल में किसी भी खिलाड़ी को कोई भी टीम रिटेन कर सकती है.
आईपीएल 2026 में नया नियम
आईपीएल 2026 सीजन में टीमों को असीमित संख्या में खिलाड़ियों को रिटेन करने की अनुमति मिली है. चाहे वह कैप्ड भारतीय क्रिकेटर हो, अनकैप्ड घरेलू खिलाड़ी हो या फिर कोई विदेशी सितारा. हालांकि इस नियम के साथ कुछ दो बाधाएं भी जुड़ी हुई हैं. हर फ्रेंचाइजी को ज्यादा से ज्यादा 25 खिलाड़ियों की टीम रखनी होगी. टीम को 120 करोड़ की वेतन सीमा का पालन करना होगा. इसका मतलब हुआ कि टीम जितने चाहे उतने खिलाड़ियों को रिटर्न कर सकती हैं लेकिन उन्हें अपने बजट का प्रबंधन काफी समझदारी से करना होगा. इसी बीच आपको बता दें कि अगर कोई खिलाड़ी किसी फ्रेंचाइजी के साथ नहीं रहना चाहता तो वह रिटेंशन ऑफर को अस्वीकार कर सकता है और मेगा नीलामी में भाग ले सकता है.
मेगा नीलामी से पहले पारंपरिक रिटेंशन नियम
पिछली आईपीएल मेगा नीलामी में बीसीसीआई ने रिटेंशन की एक सीमा तय की थी. सभी टीम सीजन के आधार पर सिर्फ सीमित संख्या में खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती थी. यह संख्या 4 से 6 के बीच थी. जैसे आईपीएल 2025 की अगर बात करें तो सभी टीमों को ज्यादा से ज्यादा छह खिलाड़ियों को रिटर्न करने की अनुमति थी. इसमें कैप्ड और अनकैप्ड, भारतीय और विदेशी सभी खिलाड़ियों का मिश्रण था.
नियमों में और क्या था शामिल
ज्यादा से ज्यादा पांच कैप्ड खिलाड़ी (भारतीय या विदेशी) ज्यादा से ज्यादा दो अनकैप्ड खिलाड़ी
क्या है राइट टू मैच नियम
आईपीएल नीलामी प्रणाली का एक और जरूरी पहलू है वह है राइट टू मैच कार्ड. जो भी टीम अपनी अधिकतम रिटेंशन सीमा से कम खिलाड़ियों को रिटेन करती हैं उन्हें नीलामी के समय राइट टू मैच कार्ड का इस्तेमाल करने का विकल्प मिलता है.
इसमें अगर कोई खिलाड़ी पहले किसी टीम का हिस्सा था और अब नीलामी के लिए है तो टीम किसी दूसरी फ्रेंचाइजी द्वारा लगाई गई उच्चतम बोली से मेल खाकर खिलाड़ी को वापस ले सकती है.
टीम के बजट और जेब पर असर
जब भी कोई टीम किसी खिलाड़ी को रिटर्न करती है तो उसकी नीलामी जेब से एक निश्चित राशि काट ली जाती है, इसमें चाहे खिलाड़ी का वास्तविक वेतन कुछ भी हो. यह कटौती खिलाड़ी की श्रेणी के आधार पर अलग-अलग होती है. जैसे अगर कोई भी टीम रोहित शर्मा या विराट कोहली जैसे शीर्ष श्रेणी के खिलाड़ी को रिटेन करना चाहती है तो उसकी जेब पर काफी ज्यादा असर पड़ेगा. वही उभरते हुए घरेलू खिलाड़ियों को रिटेन करना सस्ता पड़ सकता है.
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