18 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय माइग्रेंट डे (International Migrants Day) है, जो दुनिया भर में प्रवासियों की यात्रा, चुनौतियों और योगदान को याद करने का दिन है. हाल के आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ आर्थिक अवसर ही नहीं, बल्कि धार्मिक उत्पीड़न और व्यक्तिगत आस्था भी लोगों को उनके देश और धर्म से अलग कर रहे हैं. ईसाई समुदाय में यह प्रवृत्ति सबसे ज्यादा देखने को मिलती है, जबकि हिंदू और मुस्लिम आबादी अपने मूल धर्म से जुड़े रहते हैं, भले ही वे विदेश में बस जाएं.

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देश छोड़ने और धर्म बदलने का पैटर्न

विश्वभर में प्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन यह प्रवास सभी धर्मों में समान नहीं है. प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट बताती है कि, ईसाई समुदाय के लोग न केवल अधिक संख्या में अपने देश छोड़ रहे हैं, बल्कि पश्चिमी देशों में वे अपने धर्म को भी छोड़ने की ओर अग्रसर हैं. यूरोप और अमेरिका में युवा और शिक्षित ईसाई लोग नास्तिकता अपनाते हुए नो धर्म श्रेणी में शामिल हो रहे हैं. इसके पीछे शिक्षा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और धार्मिक रूढ़िवादिता को चुनौतियां मानना प्रमुख कारण हैं.

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किस धर्म के लोग कम छोड़ रहे देश?

हिंदू और मुस्लिम प्रवासियों में धर्म छोड़ने की दर कम है. हिंदू अधिकतर आर्थिक अवसरों की तलाश में विदेश जाते हैं, जैसे अमेरिका, कनाडा या यूरोप, लेकिन वे अपना धर्म बनाए रखते हैं. दक्षिण एशियाई देशों के मुस्लिम प्रवासी भी अपने धर्म को त्यागने की बजाय नए सामाजिक और आर्थिक परिवेश में अपनी धार्मिक पहचान बनाए रखते हैं.

ईसाई समुदाय का प्रवासन और धर्म परिवर्तन

मध्य पूर्व और अन्य मुस्लिम बहुल देशों में ईसाई अल्पसंख्यक अक्सर उत्पीड़न और भेदभाव का सामना करते हैं. इसके कारण यह समुदाय बड़ी संख्या में अपने देश छोड़कर यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की ओर प्रवास करता है. वहीं, पश्चिमी देशों में रहने वाले ईसाई भी अब धार्मिक रूढ़िवादिता और सांस्कृतिक दबाव से प्रेरित होकर अपने धर्म से अलग हो रहे हैं. यह बदलाव समाज के प्रति उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और आधुनिक सोच का प्रतीक माना जाता है.

अन्य धर्म और प्रवास

बौद्ध धर्म के अनुयायी, विशेषकर दक्षिण कोरिया जैसे देशों में अपने धर्म से अलग हो रहे हैं. आर्थिक और शैक्षिक कारण भी इसे बढ़ावा दे रहे हैं. दूसरी ओर, हिंदू और मुस्लिम प्रवासी अपने मूल धर्म से जुड़े रहते हैं और धार्मिक त्योहार, रीति-रिवाज और समुदाय के साथ संबंध बनाए रखते हैं.

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