दुनिया में ऐसी बहुत सी जगहें हैं, जो कि किसी न किसी वजह से खत्म हो रही हैं. इसी लिस्टमें भारत और बंगाल की खाड़ी के बीच में एक द्वीप स्थित है, जिसका नाम है न्यूमूर. यह द्वीप अब पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है. इस द्वीप को भारत में पुर्बाशा भी कहा जाता था, वहीं बांग्लादेश में इस दक्षिण तलपट्टी के नाम से जानते थे. सालों से दोनों देश इस द्वीप पर अपना दावा करते थे, लेकिन जलवायु परिवर्तन ने इस विवाद को ही खत्म कर दिया है. 

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कब खोजा गया यह द्वीप

न्यूमूर द्वीप को लेकर भारत और बांग्लादेश केबीच भी विवाद रहा है, हालांकि यह द्वीप निर्जन ही रहा. यहा पर भारत ने नौ सेना के एक जहाज ने और फिर बीएसएफ के जवानों को वहां पर तैनात करके झंडा फहराया गया था. फिर तो जैसे-जैसे तापमान बढ़ने लगा तो ग्लेशियर पिघलने लगे. ग्लेशियर के पिघलने से यह द्वीप पानी में समा गया और जैसे कि सारा विवाद प्रकृति ने खुद हल दिया हो. यह आइलैंड बे ऑफ बंगाल में मौजूद था. इस आइलैंड को 1970 में एक अमेरिकी सैटेलाइट ने खोजा था.

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कब पानी में समा गया न्यूमूर

दरअसल यह आइलैंड भारत और बांग्लादेश के बीच में स्थित था, इसीलिए बांग्लादेश भी दावा करता था कि यह उसका आइलैंड है. दोनों देश इस द्वीप को लेकर जमकर विवाद करते थे, लेकिन फिर साल 1980 में धीरे-धीर बढ़ती हुई ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से यह द्वीप 2010 तक पानी में समा गया था. इस द्वीप पर 1987 के बाद से लगातार कटाव होने लगा था, फिर साल 2000 आते-आते यह वीरान होता चया गया. तब तक बीएसएफ ने भी वहां से चौकी खाली कर दी, लेकिन नौसेना की गश्त जारी थी. 1990 में यह द्वीप समुद्र से सिर्फ तीन मीटर की ऊंचाई पर था. 

न्यूमूर से पहले यह आइलैंड पानी में समाया

न्यूमूर द्वीप से पहले 1996 में लोहाचारा द्वीप भी पानी में डूब चुका था. 2006 तक तो पानी में डूबा यह द्वीप दिखाई भी देता थे, इसके बाद तो यहां पानी की गहराई दो-तीन मीटर तक पहुंच गई थी. दुनियाभर में इस द्वीप के खत्म होने का शोक मनाया गया था. साल 2007 में ऑस्कर फिल्म फेल्टिवल में ट्रॉफी के साथ लोहाचारा का मॉडल भी दिया गया था, जब बताते हुए कि दुनिया का पहला द्वीप जो कि ग्लोबल वॉर्मिंग का शिकार बन गया. 

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